इंदौर प्रशासन ने शहर को भिखारी मुक्त बनाने के उद्देश्य से 1 जनवरी से भीख देने और लेने पर पूर्ण प्रतिबंध लागू कर दिया है। प्रशासन ने इस दिशा में जागरूकता अभियान चलाने के साथ-साथ कड़े कदम भी उठाए हैं। हाल ही में, इंदौर पुलिस ने इस आदेश का उल्लंघन करने पर दो प्राथमिकी (FIR) दर्ज की हैं। पहली FIR एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ दर्ज की गई, जिसने भीख दी थी, जबकि दूसरी FIR एक महिला भिखारी के खिलाफ दर्ज की गई, जिसने भीख ली थी। यह कदम शहर को भिखारी मुक्त बनाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
भीख देने और लेने पर FIR दर्ज
इंदौर में भिक्षावृत्ति उन्मूलन दल द्वारा शिकायत के आधार पर पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 223 के तहत यह कार्रवाई की है। यह धारा किसी सरकारी आदेश का उल्लंघन करने पर लागू होती है और इसके तहत एक साल की सजा, 2500 रुपये तक का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। DM आशीष सिंह ने लोगों से इस आदेश का पालन करने और भीख न देने की अपील की थी।
पुनर्वास और गिरोह का पर्दाफाश
DM आशीष सिंह के अनुसार, प्रशासन ने हाल ही में शहर में सक्रिय भीख मंगवाने वाले गिरोहों का पर्दाफाश किया है और भिखारियों के पुनर्वास के लिए भी ठोस कदम उठाए हैं। इस पहल का उद्देश्य न केवल शहर को भिखारी मुक्त बनाना है, बल्कि जरूरतमंदों को आत्मनिर्भर बनने में मदद करना भी है।
पायलट प्रोजेक्ट के तहत इंदौर की भूमिका
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने देश के 10 शहरों को भिखारी मुक्त बनाने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसमें इंदौर भी शामिल है। इंदौर प्रशासन इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने के लिए निरंतर प्रयासरत है। दिसंबर महीने में इस संबंध में एक आदेश जारी किया गया था, जिसमें भीख देने और लेने वालों पर कार्रवाई की बात कही गई थी।