मध्य प्रदेश में सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जिससे न केवल सरकारी संपत्ति का नुकसान हो रहा है, बल्कि कानून व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है। इस चुनौती से निपटने के लिए राज्य सरकार ने कई सख्त कदम उठाए हैं।
मध्य प्रदेश सरकार सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों को रोकने के लिए सख्त कदम उठा रही है। नए विभागों की स्थापना, कानूनी संशोधन, और न्यायालय के निर्देशों के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि सरकारी संपत्तियों की सुरक्षा हो और अवैध कब्जाधारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
‘लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग’ की स्थापना
जनवरी 2021 में, मध्य प्रदेश सरकार ने ‘लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग’ की स्थापना की, जिसका मुख्य उद्देश्य सरकारी जमीनों की निगरानी और अतिक्रमण की स्थिति में उन्हें मुक्त कराना है।
अवैध कब्जों के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई
जनवरी 2025 में, भोपाल के भानपुरा इलाके में 1 करोड़ से अधिक मूल्य की सरकारी जमीन से अवैध अतिक्रमण हटाया गया। गोविंदपुरा एसडीएम रवीश कुमार श्रीवास्तव के निर्देशन में यह कार्रवाई की गई, जिसमें कच्चे रास्ते और कोपरा डालकर किए गए कब्जों को बुलडोजर से हटाया गया।
भूमि अधिनियम में संशोधन
अप्रैल 2023 में, राज्यपाल की मंजूरी से ‘मध्यप्रदेश नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्ति (पट्टाधृति अधिकारों का संक्षिप्त नाम, प्रदान किया जाना) संशोधन अधिनियम, 2023’ पारित किया गया। इसके तहत, 31 दिसंबर 2020 तक शहरी क्षेत्रों में सरकारी जमीन पर कब्जा करके रहने वाले व्यक्तियों को 100 स्क्वायर मीटर तक की जमीन का पट्टा प्रदान किया जाएगा।
अवैध कॉलोनियों पर सख्ती
दिसंबर 2023 में, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जमीन की रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण प्रक्रिया को भी सरल बनाया, जिससे भ्रष्टाचार में कमी आएगी। इसके तहत, रजिस्ट्री के 15 दिन के भीतर स्वतः ही नामांतरण हो जाएगा, जिससे लोगों को दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
न्यायालय की सख्ती
जून 2024 में, प्रदेश हाई कोर्ट ने सरकारी भूमि पर अवैध कब्जों को नियमित करने से जुड़ी नीति की वैधता पर सुनवाई करते हुए, कब्जाधारियों को दो सप्ताह के भीतर कब्जाई गई भूमि की किस्म बताने के आदेश जारी किए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकारी भूमि पर बगीचे और भवन निर्माण करने वाले याचिकर्ताओं को शपथ पत्र दायर कर यह जानकारी देनी होगी कि उनके द्वारा कब्जाई गई भूमि क्या वन भूमि है या शामलात अथवा अन्य किस्म की है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
अक्टूबर 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि किसी व्यक्ति की जमीन पर अवैध कब्जा किया गया है, तो वह बिना अदालत गए भी शासकीय सहयोग से अपना कब्जा वापस प्राप्त कर सकता है, बशर्ते उसके पास प्रॉपर्टी का वैध टाइटल हो। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि प्रॉपर्टी का टाइटल आपके नाम पर नहीं है और कब्जा 12 साल से अधिक समय से है, तो आपको अदालत में केस करना होगा।