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Bihar Jamin Survey: नीतीश सरकार ने बदल दिये रजिस्ट्री के नियम, जमीन सर्वे पर हुआ था बवाल, जान लीजिए कैसे क्या करना होगा

बिहार सरकार ने ज़मीन रजिस्ट्री में फर्जीवाड़े पर रोक लगाने के लिए नया नियम लागू किया है। अब रजिस्ट्री से पहले आधार कार्ड को जमीन रिकॉर्ड से लिंक करना अनिवार्य होगा, जिससे लेन-देन में पारदर्शिता और सुरक्षा बढ़ेगी।

By PMS News
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Bihar Jamin Survey: नीतीश सरकार ने बदल दिये रजिस्ट्री के नियम, जमीन सर्वे पर हुआ था बवाल, जान लीजिए कैसे क्या करना होगा
Bihar Jamin Survey

Bihar Jamin Survey: बिहार सरकार ने जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए एक अहम कदम उठाया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने भूमि रजिस्ट्री में धोखाधड़ी रोकने के उद्देश्य से नया नियम लागू किया है, जिसके तहत अब जमीन के रजिस्ट्रेशन से पहले आधार कार्ड को जमीन के रिकॉर्ड से लिंक करना अनिवार्य कर दिया गया है। इससे जमीन के लेन-देन में होने वाले फर्जीवाड़े पर कारगर ढंग से रोक लगने की उम्मीद है।

आधार कार्ड लिंक करना होगा अनिवार्य

अब बिहार में ज़मीन की रजिस्ट्री के लिए ज़मीन मालिक का आधार कार्ड और मोबाइल नंबर ज़मीन के रिकॉर्ड में लिंक करना अनिवार्य होगा। यह नियम जमीन बेचने वाले (विक्रेता) और खरीदने वाले (खरीदार) दोनों पर लागू होगा। साथ ही, गवाह का भी आधार से सत्यापन किया जाएगा। इससे जमीन के फर्जी लेन-देन को रोकने में मदद मिलेगी क्योंकि आधार के बिना अब रजिस्ट्री प्रक्रिया पूरी नहीं होगी।

“गो-लाइव” सॉफ्टवेयर से ऑनलाइन रजिस्ट्री

इस नए नियम को लागू करने के लिए सरकार ने “गो-लाइव” नाम का एक खास सॉफ्टवेयर शुरू किया है। इस सॉफ्टवेयर की मदद से रजिस्ट्री के दौरान आधार कार्ड की जानकारी सीधे सरकारी रिकॉर्ड से मिलाई जाएगी। पहले सिर्फ आधार की फोटोकॉपी जमा कराई जाती थी, जिसमें हेराफेरी की संभावना रहती थी। अब रजिस्ट्री ऑफिस में आधार को ऑनलाइन रिकॉर्ड से मिलान करने के बाद ही रजिस्ट्री पूरी हो सकेगी।

ई-मापी आवेदनों की होगी विशेष जांच

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने ज़मीन की मापी (सर्वे) के लिए आने वाले आवेदनों की जांच का भी फैसला किया है। अक्सर कई आवेदन गलत कारणों से अस्वीकृत हो जाते हैं, इसलिए अब इनकी रैंडम तरीके से जांच की जाएगी। राज्य के 19 अंचलों में करीब 1700 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 417 आवेदन अलग-अलग कारणों से अस्वीकार हो गए हैं। सरकार इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए जांच करेगी ताकि सही आवेदकों को मापी सुविधा मिल सके।

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अमीनों के काम का होगा विश्लेषण

ज़मीन मापी करने वाले कर्मचारियों (अमीनों) के कामकाज की भी समीक्षा की जाएगी। इस समीक्षा का मकसद यह देखना है कि अमीन एक महीने में कितने मापी कार्य पूरे कर रहे हैं और क्या वे तय मानकों का पालन कर रहे हैं। अभी तक 880 मापी प्रक्रिया पूरी हो चुकी हैं, जबकि 322 मापी प्रक्रियाएं लंबित हैं। इससे ज़मीन मापी की प्रक्रिया में भी सुधार की उम्मीद है।

ई-मापी के लिए मोबाइल नंबर की अपील

विभाग ने जमीन मापी के लिए आवेदन करने वाले लोगों से निवेदन किया है कि वे अपने निजी मोबाइल नंबर का ही इस्तेमाल करें। साइबर कैफे का मोबाइल नंबर दर्ज करने से जानकारी समय पर नहीं मिल पाती, इसलिए खुद का मोबाइल नंबर देने से आवेदक को हर अपडेट मिल सकेगा और प्रक्रिया सरल होगी।

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