पटना: बिहार में जमीन सर्वे (Bihar Land Survey) को लेकर लंबे समय से रुकी हुई प्रक्रिया अब नए नियमों के साथ फिर से शुरू होगी। नीतीश सरकार ने पुराने नियमों की जटिलता और बढ़ती शिकायतों को देखते हुए सर्वे के लिए नए सिरे से कानून बनाने का फैसला लिया है। सरकार का दावा है कि इस कदम से जमीन सर्वे की प्रक्रिया सरल होगी और लोगों को इससे जुड़ी परेशानियों से राहत मिलेगी।
पुराने नियमों से आम जनता को हो रही थी परेशानी
बिहार सरकार ने राज्यभर में जमीन सर्वे कराने का फैसला तो लिया था, लेकिन इसके तहत बनाए गए नियम आम जनता के लिए बेहद कठिन साबित हो रहे थे। खासतौर पर, दो पीढ़ियों की वंशावली तैयार करने का प्रावधान इतना जटिल था कि लोग इसे पूरा करने में असमर्थ हो रहे थे। इन नियमों के कारण सर्वे की प्रक्रिया ठप हो गई और लोग लगातार अपनी समस्याओं को लेकर विरोध दर्ज करा रहे थे।
कैबिनेट की अगली बैठक में प्रस्ताव लाने की तैयारी
राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री डॉ. दिलीप जायसवाल ने घोषणा की है कि सर्वे प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए नए कानून का मसौदा तैयार किया जा रहा है। इसे कैबिनेट की अगली बैठक में पेश किया जाएगा। मंत्री ने बताया कि नए प्रावधानों से न केवल सर्वे प्रक्रिया तेज होगी, बल्कि इससे जुड़ी भ्रांतियां और विवाद भी समाप्त होंगे।
नई प्रक्रिया में क्या होंगे बदलाव?
सरकार का कहना है कि नए नियमों से सर्वे प्रक्रिया को आम लोगों के लिए सरल और पारदर्शी बनाया जाएगा। मंत्री डॉ. जायसवाल के अनुसार, भूमि सर्वे से जुड़े विवादों को जल्द निपटाने के लिए अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं। भूमि विवादों के समाधान में तेजी लाने के लिए राजस्व अधिकारियों को लंबित मामलों को एक महीने के भीतर निपटाने का आदेश दिया गया है।
लंबित मामलों पर सरकार सख्त
भूमि विवाद के बढ़ते मामलों को लेकर सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। डॉ. जायसवाल ने चेतावनी दी है कि जिन अंचलों में भूमि विवाद अधिक समय तक लंबित रहेंगे, वहां के राजस्व पदाधिकारियों को दंडित किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया है कि जल्दबाजी में किसी मामले को खारिज न करें, बल्कि निष्पक्ष जांच और समाधान सुनिश्चित करें।
नई नीति से क्या होगा फायदा?
सरकार का दावा है कि नए कानून से जमीन सर्वे की प्रक्रिया पारदर्शी होगी और विवादों में कमी आएगी। जमीन से जुड़े मुद्दों का समय पर समाधान होगा, जिससे आम जनता को बड़ी राहत मिलेगी। इसके अलावा, भूमि रिकॉर्ड को अपडेट और डिजिटलाइज करने की योजना भी चल रही है, जिससे आने वाले समय में भूमि विवादों की संभावना कम हो जाएगी।
वर्तमान स्थिति और आगे की योजना
बिहार में भूमि विवाद और सर्वे की जटिलता लंबे समय से एक बड़ी समस्या रही है। इस नए कदम से यह उम्मीद की जा रही है कि राज्य में भूमि रिकॉर्डिंग प्रक्रिया को व्यवस्थित और तेज किया जाएगा। सरकार का उद्देश्य लोगों को उनकी जमीन से जुड़े अधिकार और रिकॉर्ड तक आसानी से पहुंच दिलाना है।
राजस्व मंत्री ने कहा कि यह कदम न केवल भूमि सर्वे प्रक्रिया को सरल बनाएगा, बल्कि इससे राज्य में भूमि विवादों में कमी लाने में भी मदद मिलेगी।
सरकार का वादा: विवादों का निपटारा होगा प्राथमिकता
नीतीश सरकार का फोकस अब भूमि विवादों और सर्वे की प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाने पर है। यह कदम राज्य में जमीन से जुड़े मामलों में सुधार लाने की दिशा में एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है।