
महाराष्ट्र सरकार ने कक्षा 11वीं (FYJC – First Year Junior College) में दाखिले के लिए इन-हाउस कोटा (In-House Quota) को लेकर एक बड़ा बदलाव किया है। अब केवल वही छात्र इस कोटे का लाभ उठा सकेंगे जिनका स्कूल और जूनियर कॉलेज एक ही परिसर (Same Premises) में स्थित है। यह निर्णय राज्यभर में ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया के समान और पारदर्शी संचालन के उद्देश्य से लिया गया है।
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इन-हाउस कोटा: क्या है नया नियम?
नए दिशानिर्देशों के अनुसार, अब इन-हाउस कोटा का लाभ केवल उन्हीं छात्रों को मिलेगा जिन्होंने 10वीं कक्षा उसी संस्था के स्कूल से पास की है, जो जूनियर कॉलेज के साथ एक ही परिसर में स्थित है। पहले, यदि स्कूल और कॉलेज एक ही प्रबंधन द्वारा संचालित होते थे, तो भले ही वे अलग-अलग स्थानों पर हों, छात्रों को इन-हाउस कोटा का लाभ मिलता था।
बदलाव का प्रभाव: छात्रों और अभिभावकों की चिंता
इस बदलाव से उन छात्रों और अभिभावकों में चिंता बढ़ गई है जो इन-हाउस कोटे के माध्यम से प्रतिष्ठित कॉलेजों में प्रवेश की योजना बना रहे थे। विशेष रूप से मुंबई और पुणे जैसे शहरों में, जहां कई स्कूल और कॉलेज एक ही प्रबंधन के तहत लेकिन अलग-अलग परिसरों में संचालित होते हैं, यह निर्णय छात्रों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
सरकार का पक्ष: मेरिट आधारित प्रवेश को बढ़ावा
महाराष्ट्र के स्कूल शिक्षा मंत्री दादा भूसे ने इस निर्णय का समर्थन करते हुए कहा कि यह कदम छात्रों के हित में उठाया गया है। उन्होंने बताया कि नए ऑनलाइन प्रवेश प्रणाली के तहत सभी छात्रों को मेरिट के आधार पर समान अवसर मिलेंगे, जिससे योग्य छात्रों को प्रतिष्ठित कॉलेजों में प्रवेश का मौका मिलेगा।
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तकनीकी सुधार: ऑनलाइन प्रक्रिया को और प्रभावी बनाना
सरकार ने FYJC प्रवेश प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन कर दिया है। अब छात्रों के दस्तावेज़ कॉलेज स्तर पर व्यक्तिगत परिणाम पोर्टल से सत्यापित किए जाएंगे, जिससे उन्हें मार्गदर्शन केंद्रों पर जाने की आवश्यकता नहीं होगी। अंतिम ‘सभी के लिए खुला’ (Open to All) राउंड भी ऑनलाइन और मेरिट के आधार पर आयोजित किया जाएगा।
कॉलेजों की प्रतिक्रिया: निर्णय पर पुनर्विचार की मांग
कई कॉलेजों के प्राचार्यों ने इस नए नियम पर असंतोष व्यक्त किया है। उनका कहना है कि अधिकांश जूनियर कॉलेज डिग्री कॉलेजों से जुड़े होते हैं और स्कूलों के साथ एक ही परिसर में नहीं होते। इससे इन-हाउस कोटे पर निर्भर छात्रों को नुकसान हो सकता है। कुछ प्राचार्यों ने जानकारी पुस्तिका में मराठी और अंग्रेजी संस्करणों के बीच ‘एक ही परिसर’ और ‘समान परिसर’ की परिभाषा में अंतर पर भी सवाल उठाया है।