प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Samman Nidhi Yojana), जो अब तक लाखों किसानों के लिए एक अहम आर्थिक सहारा रही है, में हाल ही में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। इन नए नियमों का उद्देश्य योजना की पारदर्शिता को बढ़ाना और सही किसानों तक वित्तीय सहायता पहुंचाना है। हालांकि, इन बदलावों के कारण बड़ी संख्या में किसान योजना से वंचित हो सकते हैं।
अब सिर्फ ज़मीन मालिकों को मिलेगा योजना का लाभ
नए नियमों के तहत, केवल वही किसान इस योजना का लाभ ले सकेंगे, जिनके नाम पर ज़मीन दर्ज है। यदि ज़मीन परिवार के किसी अन्य सदस्य, जैसे दादा, परदादा, या रिश्तेदारों के नाम पर है, तो ऐसे किसानों को योजना से बाहर कर दिया जाएगा।
इन बदलावों के अनुसार:
- ज़मीन मालिक होना अनिवार्य कर दिया गया है।
- 1 जनवरी 2025 के बाद उन किसानों को योजना का लाभ नहीं मिलेगा, जिनके पास ज़मीन स्वामित्व का दस्तावेज़ नहीं है।
- सरकार स्वामित्व के दस्तावेज़ों की सत्यापन प्रक्रिया भी लागू करेगी।
50% किसान हो सकते हैं प्रभावित
ग्रामीण भारत में ज़मीन अक्सर संयुक्त परिवारों के नाम पर होती है। इस कारण, अनुमान लगाया जा रहा है कि लगभग 50% किसान इन नए नियमों की वजह से योजना का लाभ नहीं उठा पाएंगे। उन्हें अपनी ज़मीन अपने नाम पर करवानी होगी, जो एक जटिल और समय लेने वाली प्रक्रिया हो सकती है।
सरकार का उद्देश्य और नई रणनीति
सरकार ने इन बदलावों को योजना के दुरुपयोग को रोकने के लिए आवश्यक बताया है। उनका मानना है कि इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि योजना का लाभ सही पात्र किसानों तक पहुंचे। इसके लिए कुछ जिलों में पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू किए गए हैं, जो ज़मीन के स्वामित्व प्रमाण पत्र को सरल और सुलभ बनाने पर केंद्रित हैं।
प्रभावित किसानों के लिए जरूरी कदम
- डॉक्यूमेंट तैयार करना: किसानों को अपनी ज़मीन के स्वामित्व से जुड़े सभी दस्तावेज़ तैयार रखने होंगे।
- नामांकन प्रक्रिया शुरू करना: यदि ज़मीन परिवार के किसी अन्य सदस्य के नाम पर है, तो उसे अपने नाम पर ट्रांसफर करवाने की प्रक्रिया शुरू करनी होगी।
- सरकारी हेल्पडेस्क का उपयोग करना: सरकार ने ज़मीन स्वामित्व प्रक्रिया के लिए हेल्पडेस्क स्थापित किए हैं, जिनसे सहायता ली जा सकती है।
किसानों पर असर और चुनौतियां
इन बदलावों से लाखों किसानों के लिए कई चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं। छोटे और सीमांत किसान, जो अक्सर अपने परिवार के साथ संयुक्त संपत्ति साझा करते हैं, को ज़मीन स्वामित्व को लेकर नई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।