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नगर निगम की 21 बीघा ज़मीन होगी कब्जा मुक्त, 110 करोड़ की इस संपत्ति पर वक्फ बोर्ड का है कब्जा

नौरंगाबाद रोड की 21 बीघा सरकारी जमीन पर से हटेगा वक्फ बोर्ड का दावा? हाईकोर्ट में नए वक्फ कानून के तहत नगर निगम पेश करेगा अपना पक्ष, करोड़ों के प्रोजेक्ट्स की उम्मीद जगी!

By PMS News
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नगर निगम की 21 बीघा ज़मीन होगी कब्जा मुक्त, 110 करोड़ की इस संपत्ति पर वक्फ बोर्ड का है कब्जा
नगर निगम की 21 बीघा ज़मीन होगी कब्जा मुक्त, 110 करोड़ की इस संपत्ति पर वक्फ बोर्ड का है कब्जा

अलीगढ़ शहर में एक बार फिर से सरकारी जमीन पर से अवैध कब्जे को हटाने की बड़ी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। नौरंगाबाद रोड पर स्थित नगर निगम की 21 बीघा जमीन को वक्फ बोर्ड (Waqf Board) के दावे से मुक्त कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यह जमीन 110 करोड़ रुपये से अधिक की बाजार कीमत रखती है। इससे पहले अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) से अरबों की जमीन मुक्त कराई गई थी और अब नगर निगम अन्य अतिक्रमित परिसंपत्तियों को अपने नियंत्रण में लेने में जुट गया है।

सरकारी जमीन पर वक्फ बोर्ड का दावा, हाईकोर्ट में मामला

नगर निगम की यह 21 बीघा जमीन दो हिस्सों में विभाजित है। पहला हिस्सा गाटा संख्या 1995-2, जो डीएवी बालक और डीएवी बालिका इंटर कॉलेज के मध्य स्थित है, वहां करीब 7 बीघा जमीन है। दूसरा हिस्सा गाटा संख्या 1996, जो छर्रा अड्डा बस स्टैंड पर स्थित है, वहां लगभग 14 बीघा जमीन है। नगर निगम ने दोनों परिसरों में चहारदीवारी कराकर अपना नियंत्रण स्थापित किया था।

लेकिन इस पर सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड लखनऊ ने दावा जताते हुए दो अलग-अलग वर्षों में मुकदमा दायर किया। 2020 में डीएवी वाली जमीन और 2022 में छर्रा अड्डा बस स्टैंड वाली जमीन पर मुकदमे दर्ज किए गए। इसके बाद दोनों पक्षों ने हाईकोर्ट में दलीलें पेश कीं और कोर्ट ने फिलहाल यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है।

नया वक्फ कानून बना नगर निगम की उम्मीद की किरण

हाल ही में लागू हुए नए वक्फ कानून के तहत यह स्पष्ट किया गया है कि जो भूमि सरकारी रिकॉर्ड में सरकारी संपत्ति के रूप में दर्ज है, उस पर वक्फ के नियम लागू नहीं होंगे। इसी आधार पर अब नगर निगम इन दोनों जमीनों को कब्जा मुक्त कराने के लिए कानूनी कार्रवाई तेज कर रहा है। नगर निगम के संपत्ति विभाग के लिपिक विजय गुप्ता के अनुसार, यह भूमि शुरू से नगर निगम की है और इसे अवैध रूप से वक्फ संपत्ति बताया गया है।

अरबों की जमीन, लेकिन नहीं हो पा रहा विकास

शहर के मुख्य मार्ग और मध्य क्षेत्र में स्थित इन दोनो भूखंडों की कीमत बाजार में लगभग 110 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है। लेकिन हाईकोर्ट में लंबित मुकदमे और यथास्थिति आदेश के चलते नगर निगम इस भूमि का कोई उपयोग नहीं कर पा रहा है, जिससे राजस्व की भी हानि हो रही है।

नगर आयुक्त विनोद कुमार ने बताया कि “सरकारी जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित कर मुकदमा दर्ज कराया गया, लेकिन नए कानून के तहत निगम अब हाईकोर्ट में मजबूती से अपना पक्ष रखेगा और इन दोनों जमीनों को फिर से कब्जा मुक्त कराएगा।”

लंबे समय से विवादों में घिरी जमीन पर होगा बड़ा फैसला

अलीगढ़ के कोल तहसील क्षेत्र में स्थित यह भूमि नगर निगम की संपत्ति रजिस्टर में दर्ज है। लेकिन वक्फ बोर्ड द्वारा गठित की गई स्थानीय वक्फ कमेटियों ने इसे अपनी संपत्ति बताकर कब्जे की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। अब नया वक्फ अधिनियम नगर निगम को इस विवाद से बाहर निकलने का रास्ता दिखा रहा है।

नगर निगम की योजना है कि कब्जा मुक्त होते ही इन जमीनों का उपयोग राजस्व बढ़ाने, शहरी विकास योजनाओं और सार्वजनिक सुविधाओं के लिए किया जाए। इससे न केवल नगर निगम की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि स्थानीय नागरिकों को भी सुविधाएं मिल सकेंगी।

अदालत में अगली सुनवाई पर टिकी निगाहें

फिलहाल मामला हाईकोर्ट में लंबित है और आने वाली सुनवाई में नगर निगम नए वक्फ कानून के तहत अपना पक्ष रखेगा। अगर कोर्ट का फैसला नगर निगम के पक्ष में आता है, तो यह एक नजीर बन सकता है, जिससे अन्य अवैध रूप से वक्फ घोषित सरकारी जमीनों को भी मुक्त कराने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी।

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