
बलूचिस्तान की आज़ादी की मांग ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है, जब बलूच नेता मीर यार बलूच ने सोशल मीडिया पर बलूचिस्तान को पाकिस्तान से स्वतंत्र घोषित कर दिया। “Republic of Balochistan announced” हैशटैग के साथ यह खबर वायरल हो गई, और इसके साथ ही भारत और संयुक्त राष्ट्र-UN से कई अहम मांगें भी रखी गईं। इस घोषणा ने बलूचिस्तान में चल रहे आज़ादी के संघर्ष को एक नई दिशा दी है।
भारत और UN से सहायता की अपील
मीर यार बलूच ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक विस्तृत पोस्ट में बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की घोषणा करते हुए पाकिस्तान की सैन्य और प्रशासनिक व्यवस्था को “आतंकवादी सिस्टम” कहा। उन्होंने भारत सरकार से अपील की कि बलूचिस्तान को दिल्ली में एक आधिकारिक दफ्तर और दूतावास खोलने की अनुमति दी जाए। साथ ही उन्होंने संयुक्त राष्ट्र-UN से भी निवेदन किया कि वह बलूचिस्तान में शांति मिशन भेजे और पाकिस्तान की सेना को तत्काल वहां से बाहर निकाले। उनका कहना है कि बलूच जमीन, समुद्री सीमाएं और हवाई क्षेत्र से पाकिस्तानी फौज को पूरी तरह हटाया जाए।
गैस फील्ड्स पर हमला और पाक सेना पर वार
इस घोषणा के तुरंत बाद बलूच स्वतंत्रता सेनानियों ने डेरा बुगती स्थित गैस फील्ड्स पर हमला किया, जो पाकिस्तान की गैस आपूर्ति की रीढ़ मानी जाती है। वहीं बलूच लिबरेशन आर्मी-BLA ने एक विडियो जारी कर दावा किया कि उन्होंने पाकिस्तानी सेना के वाहन को उड़ा दिया, जिसमें 14 सैनिक मारे गए। यह हमला न केवल पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि बलूच आंदोलन की ताकत और संगठित रणनीति को भी दर्शाता है।
अंतरिम सरकार की घोषणा और महिला प्रतिनिधित्व का वादा
मीर यार बलूच ने बलूचिस्तान के लिए एक अंतरिम सरकार बनाने की बात भी कही है। उनका कहना है कि नई सरकार में महिलाओं को भी पूरा प्रतिनिधित्व मिलेगा। वे इसे एक लोकतांत्रिक और प्रगतिशील शासन के रूप में स्थापित करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने अंतरराष्ट्रीय नेताओं को एक भव्य स्वतंत्रता समारोह में आमंत्रित करने की योजना बनाई है। यह समारोह वैश्विक समुदाय को बलूचिस्तान की स्थिति से अवगत कराने का माध्यम बनेगा।
जिन्ना हाउस को बलूचिस्तान हाउस बनाने की मांग
लंदन में रह रहे ‘फ्री बलूचिस्तान मूवमेंट’ के नेता हिर्बयार मारी ने भी इस आंदोलन को नया आयाम दिया है। उन्होंने भारत सरकार से अनुरोध किया है कि मुंबई स्थित जिन्ना हाउस को बलूचिस्तान हाउस में बदला जाए। उनका मानना है कि जहां से पाकिस्तान का जन्म हुआ, वहीं से अब बलूचिस्तान की नई आज़ादी की नींव रखी जानी चाहिए। साथ ही उन्होंने UN पर 1947 से बलूच मुद्दे की अनदेखी का आरोप लगाया, जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल उठाता है।