भारत के बैंकिंग सेक्टर में पिछले 9 वर्षों में कुल 12.3 लाख करोड़ रुपये के ऋण बट्टे खाते में डाले गए हैं। इनमें से 53% यानी 6.5 लाख करोड़ रुपये का योगदान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) ने वित्त वर्ष 2020 से 2024 के बीच किया। यह जानकारी वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में दी।
30 सितंबर 2024 तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए (Non-Performing Assets) 3,16,331 करोड़ रुपये और निजी क्षेत्र के बैंकों का एनपीए 1,34,339 करोड़ रुपये रहा। सार्वजनिक बैंकों के सकल एनपीए की दर 3.01% थी, जबकि निजी क्षेत्र में यह दर 1.86% रही।
ऋण माफी में वित्त वर्ष 2019 रहा सबसे बड़ा वर्ष
ऋण माफी का सबसे उच्च स्तर वित्त वर्ष 2019 में देखा गया, जब बैंकों ने 2.4 लाख करोड़ रुपये के ऋण बट्टे खाते में डाले। यह माफी मुख्य रूप से 2015 में शुरू की गई परिसंपत्ति गुणवत्ता समीक्षा (Asset Quality Review) का परिणाम थी।
हालांकि, वित्त वर्ष 2024 में बट्टे खाते में डाले गए ऋण की राशि घटकर 1.7 लाख करोड़ रुपये रह गई। यह कुल बैंक क्रेडिट (165 लाख करोड़ रुपये) का केवल 1% था। यह कमी बैंकिंग क्षेत्र में सुधार और सख्त एनपीए प्रबंधन का परिणाम मानी जा रही है।
एसबीआई और पीएनबी में सबसे ज्यादा एनपीए
भारतीय स्टेट बैंक (SBI), जो बैंकिंग क्षेत्र में लगभग 20% की हिस्सेदारी रखता है, ने FY15-FY24 के बीच 2 लाख करोड़ रुपये के ऋण को बट्टे खाते में डाला। इसके बाद पंजाब नेशनल बैंक (PNB) का नंबर आता है, जिसने 94,702 करोड़ रुपये का लोन बट्टे खाते में डाला।
सितंबर 2024 तक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 42,000 करोड़ रुपये के ऋण माफ किए। हालांकि, चौधरी ने स्पष्ट किया कि बट्टे खाते में डाले जाने का अर्थ यह नहीं है कि उधारकर्ताओं की देनदारी माफ हो जाती है।
बट्टे खाते में डालने का मतलब क्या है?
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि एनपीए को बट्टे खाते में डालना आरबीआई के दिशानिर्देशों और बैंक के बोर्ड की नीतियों के अनुसार किया जाता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर चार वर्षों के बाद लागू होती है।
उन्होंने कहा, “बट्टे खाते में डालने का मतलब यह नहीं है कि उधारकर्ता की देनदारी खत्म हो जाती है। बैंक ऋण की वसूली के लिए सिविल कोर्ट, ऋण वसूली न्यायाधिकरण (DRT), सारफेसी एक्ट, 2002 और इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 का सहारा लेते हैं। इसके अलावा, वे समझौतों या एनपीए की बिक्री जैसे विकल्पों का उपयोग करते हैं।”
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की लाभदायक स्थिति
ऋण माफी और एनपीए के बावजूद, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने FY24 में 1.41 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया, जो अब तक का सबसे अधिक है।
सितंबर 2024 तक, इन बैंकों का सकल एनपीए अनुपात घटकर 3.12% रह गया। इसी अवधि में, बैंकों ने 85,520 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया। यह बैंकिंग क्षेत्र में सुधार और मजबूत प्रबंधन का संकेत है।
ऋण वसूली के प्रयासों में सुधार
सरकार और बैंक दोनों ही एनपीए की वसूली को लेकर गंभीर हैं। बैंकिंग सेक्टर में ऋण वसूली के लिए नए कानून और प्रक्रियाएं लागू की गई हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि सारफेसी एक्ट और इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत वसूली प्रक्रिया में तेजी आई है। साथ ही, बैंकों ने अपने एनपीए प्रबंधन को मजबूत किया है, जिससे भविष्य में बट्टे खाते में डाले जाने वाले ऋणों की संख्या में कमी की उम्मीद है।