बिहार में जमीन विवाद का मुद्दा लगातार बढ़ता जा रहा है, जो न केवल सामाजिक बल्कि प्रशासनिक चिंता का विषय बन चुका है। पुलिस और कोर्ट में लगभग 50% मामलों का कारण भूमि विवाद ही है। इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए बिहार सरकार और प्रशासन ने ठोस कदम उठाए हैं। हाल ही में पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसका उद्देश्य प्रदेश में भूमि विवाद को कम करना और न्याय प्रणाली पर बोझ को हल्का करना है।
हाईकोर्ट के आदेश
पटना हाईकोर्ट ने फैसला दिया है कि अब केवल वही लोग जमीन की बिक्री कर सकेंगे, जिनके नाम से जमाबंदी कायम है। इस फैसले के आधार पर मद्य निषेध, उत्पाद और निबंधन विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिया है कि इस नियम का सख्ती से पालन कराया जाए। इस नए प्रावधान से भूमि विवाद में बड़ी कमी आने की संभावना है। इसके साथ ही, लोगों को कोर्ट और थाना के चक्कर काटने की समस्या से राहत मिलेगी।
जमाबंदी क्या है ?
जमाबंदी, राजस्व विभाग द्वारा तैयार किया गया एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जिसमें जमीन के स्वामित्व और उसकी स्थिति की जानकारी होती है। यह रिकॉर्ड हर 5 साल में अद्यतन किया जाता है। इसके आधार पर जमीन की रसीद काटी जाती है। नए नियम के अनुसार, बिना जमाबंदी के जमीन की रजिस्ट्री नहीं होगी। इससे भू-माफियाओं द्वारा एक ही जमीन को कई लोगों को बेचने की घटनाओं पर रोक लगाई जा सकेगी।
सरकार के पुराने आदेश और अदालत की मुहर
बिहार सरकार ने 2019 में एक अधिसूचना जारी कर यह प्रावधान लागू करने की कोशिश की थी कि केवल जमाबंदी धारक ही जमीन बेच सकते हैं। लेकिन इस फैसले को चुनौती दी गई और मामला हाईकोर्ट में चला गया। चार वर्षों के बाद, हाईकोर्ट ने इस आदेश पर अपनी मुहर लगा दी है। इससे अब राज्य में जमीन विवाद को लेकर प्रशासनिक और कानूनी प्रक्रियाएं अधिक पारदर्शी हो जाएंगी।
फ्लैट और अपार्टमेंट पर नियमों का प्रभाव
यह नया नियम मुख्यतः जमीन की खरीद-बिक्री पर लागू होगा। फ्लैट और अपार्टमेंट के लिए यह प्रावधान लागू नहीं होगा। फ्लैट की रजिस्ट्री के लिए जमाबंदी की आवश्यकता नहीं होगी। इसके लिए होल्डिंग नंबर के आधार पर रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी की जा सकेगी।
जिला अवर निबंधक का निर्देश
सरकार के आदेश के पालन में जिला अवर निबंधक ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि विक्रेता के नाम से जमाबंदी का उल्लेख नहीं है, तो ऐसे मामलों में रजिस्ट्री प्रक्रिया अस्वीकृत की जा सकती है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि केवल वैध और स्वामित्व सुनिश्चित करने वाले दस्तावेजों के आधार पर ही जमीन की बिक्री हो।