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Land Registry: कल से बदल जाएंगे जमीन रजिस्ट्री के नियम, अब इन बातों का रखना होगा ध्यान

फर्जीवाड़ा पर लगेगा ब्रेक, पारदर्शिता बढ़ेगी! जानिए कैसे नई ई-रजिस्ट्री प्रक्रिया समय और पैसे दोनों बचाएगी, और क्यों यह जमीन खरीदारों और विक्रेताओं के लिए बड़ा बदलाव साबित होगी।

By PMS News
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Land Registry: कल से बदल जाएंगे जमीन रजिस्ट्री के नियम, अब इन बातों का रखना होगा ध्यान

जिला निबंधन कार्यालय में जमीन, मकान, या अन्य अचल संपत्ति की रजिस्ट्री की प्रक्रिया अब और अधिक पारदर्शी और सरल होने जा रही है। 17 दिसंबर से यहां ई-रजिस्ट्री (e-Registry) की शुरुआत होगी। इस नई व्यवस्था से न केवल जमीन क्रेता और विक्रेता को सुविधा मिलेगी, बल्कि फर्जीवाड़े की घटनाओं पर भी अंकुश लगेगा। जिले के अवर निबंधन कार्यालय जैसे पारू, मोतीपुर, कटरा और सकरा में यह प्रणाली पहले से ही लागू है। अब इसे जिला निबंधन कार्यालय में भी प्रभावी बनाया जा रहा है।

जिला अवर निबंधक मनीष कुमार ने जानकारी दी कि ई-रजिस्ट्री प्रणाली से दस्तावेजों का सत्यापन आसान होगा और प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। साथ ही, यह सिस्टम समय और पैसे की बचत के साथ कार्य की गति को भी बढ़ाएगा।

ई-रजिस्ट्री के लिए पहले कराना होगा जमीन का सत्यापन

ई-रजिस्ट्री की प्रक्रिया में सबसे पहले जमीन या अचल संपत्ति की जांच और सत्यापन के लिए आवेदन देना होगा। इस आवेदन के आधार पर निबंधन कार्यालय की ओर से स्टांप और निबंधन शुल्क का निर्धारण किया जाएगा। यह जानकारी मिलने के बाद आवेदक चालान तैयार करेंगे और डीड (Deed) बनवाएंगे। इसके बाद, सिटीजन पोर्टल पर जाकर सभी आवश्यक विवरण दर्ज करना होगा।

विवरण दर्ज करने के बाद, खरीदी-बिक्री की प्रक्रिया के लिए एक स्टॉक प्राप्त होगा, जिसमें यह तय होगा कि निबंधन की प्रक्रिया किस ऑपरेटर को करनी है। यह व्यवस्था प्रक्रिया में स्वचालन और सुव्यवस्था लाने के लिए की गई है।

बायोमीट्रिक और आधार वेरिफिकेशन से फर्जीवाड़े पर लगेगा रोक

फर्जीवाड़े की घटनाओं को रोकने के लिए इस प्रक्रिया में खरीदार, विक्रेता, और गवाह सभी के आधार कार्ड (Aadhaar Card) का सत्यापन होगा। सभी का बायोमीट्रिक वेरीफिकेशन किया जाएगा और डीड पर आधार से संबंधित तस्वीर प्रिंट की जाएगी।

इससे यह सुनिश्चित होगा कि जमीन की खरीद-बिक्री में शामिल सभी पक्षों की पहचान सत्यापित है। आधार नंबर के साथ सभी डेटा दर्ज किए जाने से यह पता लगाना संभव होगा कि कब और कहां किसी आधार संख्या से जमीन खरीदी या बेची गई है।

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इस प्रक्रिया से गवाह भी बाद में मुकर नहीं सकेंगे। साथ ही, जांच के लिए किसी अन्य निबंधन कार्यालय पर निर्भरता समाप्त हो जाएगी।

जिला अवर निबंधक करेंगे अंतिम दस्तावेज फाइनल

सभी सत्यापन प्रक्रियाओं के बाद, दस्तावेजों को जिला अवर निबंधक के स्तर पर अंतिम रूप दिया जाएगा। विक्रेता और गवाह का एकरारनामा भी इसी दौरान किया जाएगा। अगर दिए गए स्लॉट में कोई व्यक्ति रजिस्ट्री प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाता, तो उसे एक नई तिथि आवंटित की जाएगी।

समय और खर्च में होगी बचत

ई-रजिस्ट्री से लोगों का समय और पैसा दोनों बचेंगे। सभी दस्तावेज पहले से तैयार होने के कारण निबंधन कार्यालय में लंबी प्रक्रिया से बचा जा सकेगा। जमीन की जांच पहले ही हो जाने से निबंधन के दौरान किसी भी बाधा का सामना नहीं करना पड़ेगा।

इस प्रक्रिया के कारण कर्मचारियों पर काम का दबाव कम होगा, जिससे निबंधन कार्यों की संख्या में वृद्धि होगी। साथ ही, किसी भी अतिरिक्त राशि खर्च करने की जरूरत नहीं होगी।

ई-रजिस्ट्री से जुड़े मुख्य लाभ

ई-रजिस्ट्री से जुड़े लाभों में पारदर्शिता, समय की बचत, और फर्जीवाड़े की रोकथाम सबसे प्रमुख हैं। यह प्रणाली जमीन की खरीद-बिक्री को अधिक सुरक्षित और सुगम बनाएगी।

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