ईमानदारी से कार्य करने वाले कई अधिकारी कभी-कभी विवादों में घिर जाते हैं। ऐसा ही एक मामला यूपी कैडर के रिटायर्ड IAS Mohinder Singh का है। हाल ही में ED द्वारा की गई छापेमारी में उनके घर से भारी मात्रा में सोना और हीरे बरामद किए गए। इस छापेमारी के बाद यह मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है।
300 करोड़ रुपये के लोटस 300 घोटाले का मामला
यह छापेमारी लोटस 300 घोटाले के तहत की गई थी। ED ने दिल्ली, नोएडा, मेरठ और चंडीगढ़ सहित कई स्थानों पर कार्रवाई की। इस घोटाले का मूल्य लगभग 300 करोड़ रुपये आंका गया है। IAS Mohinder Singh, जो कि उत्तर प्रदेश कैडर के अधिकारी रहे हैं, उनके चंडीगढ़ स्थित घर से लगभग 12 करोड़ रुपये के हीरे और सोने का भंडार मिला।
छापेमारी के दौरान अधिकारियों ने देखा कि सोने और हीरों की इतनी बड़ी मात्रा उनके घर में जमा थी, जिससे यह मामला और भी गंभीर हो गया।
IAS Mohinder Singh: 1978 बैच के अधिकारी
मोहिंदर सिंह 1978 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने 1977 में यूपीएससी परीक्षा पास की और अपनी कड़ी मेहनत के बलबूते 34 वर्षों तक प्रशासनिक सेवा में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। 31 जुलाई 2012 को रिटायर होने से पहले वह उत्तर प्रदेश के सबसे शक्तिशाली अधिकारियों में गिने जाते थे।
मायावती सरकार के कार्यकाल में उनका प्रभाव काफी अधिक था। उन्हें नोएडा डेवलपमेंट अथॉरिटी (Noida Development Authority) का सीईओ बनाया गया था। इसके अलावा, वह तीन अन्य विकास प्राधिकरणों के चेयरमैन के रूप में भी कार्य कर चुके हैं।
विवादों में रहा नाम
मोहिंदर सिंह का नाम पहले भी कई घोटालों में सामने आया है। नोएडा के सुपरटेक ट्विन टावर घोटाले और आम्रपाली बिल्डर घोटाले में भी उनका नाम चर्चित रहा है। बताया जाता है कि सुपरटेक घोटाले में 26 अधिकारियों का नाम था, जिसमें से 20 रिटायर्ड अधिकारी थे।
नोएडा के विवादित ट्विन टावर घोटाले में उनके कार्यकाल के दौरान की गई अनियमितताओं के कारण यह मुद्दा काफी चर्चा में रहा।
छापेमारी की मुख्य बातें
- मामला: लोटस 300 घोटाला
- स्थान: दिल्ली, नोएडा, मेरठ, चंडीगढ़
- बरामदगी: 12 करोड़ रुपये के हीरे और सोना
- मूल्य: घोटाले का कुल अनुमानित मूल्य 300 करोड़ रुपये
विवाद और ED की जांच
ED की छापेमारी के बाद IAS Mohinder Singh के खिलाफ जांच तेज हो गई है। उनके कार्यकाल में हुए घोटालों और विवादों को खंगाला जा रहा है। यह मामला देश के उन बड़े घोटालों में गिना जा रहा है, जिसने प्रशासनिक तंत्र की ईमानदारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं।