पिछले कुछ सालों में देशभर में किसान आंदोलन ने बड़े पैमाने पर अपनी पहचान बनाई है। तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर लगभग एक साल तक डटे रहे किसानों के संघर्ष ने केंद्र सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया। इन आंदोलनों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी कानून बनाने, किसानों और मजदूरों की कर्जमाफी, और 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून को पुनः लागू करने जैसी प्रमुख मांगें शामिल थीं। अब, किसान महापंचायत के आह्वान पर राजस्थान में 29 जनवरी को गांव बंद आंदोलन आयोजित किया जाएगा।
राजस्थान में गांव बंद आंदोलन का उद्देश्य
राजस्थान में इस बार गांव बंद आंदोलन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी कानून की मांग को लेकर हो रहा है। किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने इसे “ब्रह्मास्त्र” कहा है और विश्वास व्यक्त किया है कि यह कभी विफल नहीं हो सकता।
इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य गांवों की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। इसके तहत गांव के लोग 29 जनवरी को अपने गांव से बाहर नहीं जाएंगे और किसी भी वाहन का उपयोग नहीं करेंगे। केवल आपातकालीन स्थिति में ही गांव से बाहर जाने की अनुमति होगी। इस दौरान गांव के उत्पादों को गांव में ही बेचा जाएगा। अगर कोई बाहरी व्यक्ति गांव में आकर उत्पाद खरीदना चाहेगा, तो किसान उसे अपने उत्पाद बेच सकेंगे।
गांव बंद आंदोलन की रणनीति
इस आंदोलन के लिए किसानों ने हर घर से संकल्प भराने का काम शुरू कर दिया है। रामपाल जाट ने कहा कि यह आंदोलन राजस्थान के लिए एक नया प्रयोग है और इसे सफल बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इस आंदोलन के जरिए किसानों का ध्यान गांवों की आत्मनिर्भरता और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर भी केंद्रित है।
आंदोलन के दिन गांव के लोगों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने उत्पाद बाहरी बाजार में न भेजें, बल्कि स्थानीय स्तर पर ही बेचें। इसके अलावा, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी प्रकार की गतिविधि जो गांव के बाहर ले जानी हो, उसे इस दिन के लिए रोक दिया जाए।
एमएसपी कानून की गारंटी पर किसानों की मांग
किसानों का कहना है कि एमएसपी गारंटी कानून को लागू करना उनके जीवनयापन के लिए आवश्यक है। बिना इस कानून के, किसानों को अपनी फसलें अक्सर कम कीमतों पर बेचनी पड़ती हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है। यह आंदोलन इस मुद्दे को केंद्र में रखते हुए एक संदेश देने का प्रयास करेगा।
दिल्ली आंदोलन और राजस्थान के गांव बंद आंदोलन के बीच संबंध
दिल्ली की सीमाओं पर हुए किसान आंदोलन और राजस्थान में होने वाले गांव बंद आंदोलन के बीच गहरा संबंध है। दिल्ली आंदोलन ने जहां केंद्र सरकार को तीन कृषि कानून वापस लेने पर मजबूर किया, वहीं अब राजस्थान में यह आंदोलन राज्य स्तर पर किसानों के मुद्दों को उजागर करने का प्रयास करेगा।
आंदोलन का संभावित प्रभाव
गांव बंद आंदोलन का सबसे बड़ा प्रभाव यह हो सकता है कि गांवों में उत्पादों की स्थानीय खरीद और बिक्री को बढ़ावा मिलेगा। इससे गांव की अर्थव्यवस्था को लाभ होगा और आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहन मिलेगा। इसके अलावा, एमएसपी गारंटी कानून की मांग को लेकर सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास किया जाएगा।
राजस्थान के लिए पहला बड़ा प्रयोग
किसान महापंचायत ने इसे राजस्थान के लिए एक बड़ा और नया प्रयोग करार दिया है। रामपाल जाट ने कहा कि यह आंदोलन राज्य में किसानों के अधिकारों को सुरक्षित करने और उनके हितों को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।