School Holiday: कर्नाटक सरकार ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ राजनेता एसएम कृष्णा को श्रद्धांजलि देने के लिए 11 दिसंबर 2024, बुधवार को राज्यभर में सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है। यह अवकाश सभी सरकारी कार्यालयों, सरकारी और अनुदानित स्कूलों और कॉलेजों में लागू होगा। उनके सम्मान में, सरकार ने 10 से 12 दिसंबर तक तीन दिवसीय शोककाल का भी ऐलान किया है।
शोककाल की प्रमुख व्यवस्थाएं
शोककाल के दौरान, राज्यभर में सरकारी कार्यालयों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। किसी भी प्रकार के सांस्कृतिक या मनोरंजन कार्यक्रमों पर रोक लगा दी गई है। यह निर्णय उनके अतुलनीय योगदान और प्रभावशाली नेतृत्व को सम्मानित करने के उद्देश्य से लिया गया है।
एसएम कृष्णा
एसएम कृष्णा का पूरा नाम श्री सोमना हल्ली मल्लैया कृष्णा था। उनका जन्म 1 मई 1932 को कर्नाटक के मंड्या जिले के सोमना हल्ली गांव में हुआ। उनका जीवन संघर्ष और सफलता की मिसाल है। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मंड्या में पूरी की और फिर उच्च शिक्षा के लिए बेंगलुरु और अमेरिका का रुख किया।
उन्होंने कर्नाटक की राजनीति में एक लंबा और सफल करियर बनाया। 1999 से 2004 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में, उन्होंने राज्य के शहरी विकास और तकनीकी क्षेत्र में नई क्रांति लाई। विशेष रूप से, उन्होंने बेंगलुरु को एक वैश्विक आईटी हब और “भारत की सिलिकॉन वैली” के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान
एसएम कृष्णा की नेतृत्व क्षमता ने उन्हें कर्नाटक से बाहर भी प्रसिद्धि दिलाई। वे महाराष्ट्र के राज्यपाल और विदेश मंत्री के रूप में भी सेवा कर चुके हैं। उनकी राजनयिक क्षमता और निर्णय लेने की कुशलता ने उन्हें एक सम्माननीय स्थान दिलाया।
उनके इस योगदान को मान्यता देते हुए, भारत सरकार ने उन्हें 2023 में पद्म विभूषण, देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, से सम्मानित किया।
उनके निधन पर शोक
10 दिसंबर 2024 को, 92 वर्ष की आयु में, एसएम कृष्णा का निधन हो गया। यह खबर सुबह 2:45 बजे आई, जिससे पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई। उनका अंतिम संस्कार 11 दिसंबर को उनके पैतृक गांव मंड्या में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।
कर्नाटक सरकार का निर्णय
कर्नाटक सरकार ने उनके सम्मान में तीन दिवसीय शोककाल की घोषणा की है। यह कदम उनके जीवन, सेवा और कर्नाटक के प्रति योगदान को सम्मानित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। राज्य के नागरिकों को इस अवधि में उनके योगदान को याद करने और श्रद्धांजलि देने का अवसर मिलेगा।