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Indian Air Defence System: जानिए वो ताकतवर तकनीक जो दुश्मनों को हवा में ही उड़ा देती है!

पाकिस्तान ने भारत के 15 शहरों पर एक साथ हमला करने की कोशिश की, लेकिन भारतीय Air Defence System ने चौंकाने वाली सटीकता से सभी हमले विफल कर दिए। भारत का S-400 सिस्टम बना दुश्मनों का काल। जानिए कैसे काम करता है ये हाईटेक सिस्टम, और क्यों दुश्मन अब भारत के आसमान से खौफ खाने लगे हैं

By PMS News
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Indian Air Defence System: जानिए वो ताकतवर तकनीक जो दुश्मनों को हवा में ही उड़ा देती है!
Indian Air Defence System: जानिए वो ताकतवर तकनीक जो दुश्मनों को हवा में ही उड़ा देती है!

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (POK) में स्थित 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। इसके जवाब में पाकिस्तान ने बीती रात भारत के 15 शहरों को निशाना बनाने की कोशिश की, लेकिन भारत के मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम (Air Defence System) ने इन सभी हमलों को पूरी तरह से नाकाम कर दिया।

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गुरुवार सुबह भारत ने पलटवार करते हुए पाकिस्तान के कई एयर डिफेंस सिस्टम (Air Defence System) को निशाना बनाया। भारतीय सेना ने जानकारी दी कि लाहौर के पास एक महत्वपूर्ण एयर डिफेंस यूनिट को निष्क्रिय कर दिया गया है। यह दिखाता है कि आज के आधुनिक युद्ध में आसमान पर नियंत्रण बनाए रखना कितना जरूरी हो गया है।

एयर डिफेंस सिस्टम क्या होता है और यह कैसे काम करता है

Air Defence System किसी भी देश की सुरक्षा प्रणाली का अभिन्न हिस्सा होता है। इसका मुख्य उद्देश्य दुश्मन के हवाई हमलों को नाकाम करना होता है, चाहे वह मिसाइलें हों, लड़ाकू विमान हों या ड्रोन। भारत के पास फिलहाल सबसे आधुनिक और शक्तिशाली एयर डिफेंस सिस्टम में से एक, S-400 है, जो रूस से आयात किया गया है।

यह सिस्टम रडार नेटवर्क, कंट्रोल सेंटर, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम, डिफेंसिव फाइटर जेट्स और मिसाइल इंटरसेप्टर जैसे अनेक घटकों के साथ काम करता है।

डिटेक्शन: खतरे का समय पर पता लगाना

एयर डिफेंस सिस्टम की सफलता इस पर निर्भर करती है कि वह खतरे को कितनी जल्दी पहचान सकता है। इसमें मुख्य भूमिका निभाता है रडार सिस्टम। रडार सिस्टम वातावरण में इलेक्ट्रॉनिक वेव्स भेजता है जो किसी भी हवाई वस्तु जैसे ड्रोन, मिसाइल या विमान से टकराकर वापस लौटती हैं। इस परावर्तित तरंग के विश्लेषण से यह पता लगाया जाता है कि:

  • खतरा किस दिशा से आ रहा है
  • उसकी गति और ऊंचाई क्या है
  • वह किस तरह का खतरा है – मिसाइल, ड्रोन या जेट

कुछ मामलों में जैसे अगर ICBM (Intercontinental Ballistic Missile) का खतरा हो, तो सैटेलाइट्स की भी मदद ली जाती है।

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ट्रैकिंग: खतरे पर निगरानी बनाए रखना

सिर्फ खतरे का पता लगाना ही काफी नहीं है। एयर डिफेंस सिस्टम को यह भी सुनिश्चित करना होता है कि वह उस खतरे पर लगातार सटीक नजर बनाए रखे। इसके लिए इंफ्रारेड सेंसर, लेजर रेंजफाइंडर और आधुनिक मल्टी-ट्रैकिंग सिस्टम का उपयोग किया जाता है।

ट्रैकिंग विशेष रूप से तब महत्वपूर्ण हो जाती है जब एक साथ कई तरह के हमले हो रहे हों – जैसे कि ड्रोन, मिसाइल और फाइटर जेट एक साथ हमला करें। साथ ही, नागरिक विमान और मित्र देशों के विमानों की उपस्थिति से स्थिति और जटिल हो सकती है। इसीलिए, सटीक पहचान और निगरानी आवश्यक होती है ताकि गलत टारगेटिंग से बचा जा सके।

इंटरसेप्शन: खतरे को निष्क्रिय करना

डिटेक्शन और ट्रैकिंग के बाद तीसरा चरण होता है इंटरसेप्शन – यानी खतरे को निष्क्रिय करना। इस प्रक्रिया में यह तय किया जाता है कि किस हथियार प्रणाली का प्रयोग किया जाए। उदाहरण के लिए:

  • एक ड्रोन को नीचे गिराने के लिए लेज़र या इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग का प्रयोग किया जा सकता है।
  • फाइटर जेट के लिए सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल जैसे कि Akash Missile या Barak-8 का उपयोग किया जाता है।
  • क्रूज़ मिसाइल को नष्ट करने के लिए मल्टी-लेयर इंटरसेप्शन की रणनीति अपनाई जाती है।

भारतीय S-400 जैसे सिस्टम्स की खास बात यह है कि ये 400 किलोमीटर तक के दायरे में किसी भी खतरे को पहचान कर उसे निष्क्रिय कर सकते हैं।

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भारत की एयर डिफेंस क्षमताएं

भारत ने हाल के वर्षों में अपने एयर डिफेंस सिस्टम को काफी मजबूत किया है। इसके अंतर्गत शामिल हैं:

  • S-400 Triumf System: यह सिस्टम एक साथ कई टारगेट को ट्रैक और इंटरसेप्ट कर सकता है।
  • Akash Missile System: मेड इन इंडिया यह सिस्टम मध्यम दूरी के एयर डिफेंस के लिए उपयुक्त है।
  • Israel के Barak-8 और Spyder Systems: ये सिस्टम कम दूरी और उच्च गति के खतरों से निपटने में सक्षम हैं।

इन सभी सिस्टम्स के कारण ही भारत ने बुधवार रात पाकिस्तान के 15 शहरों को निशाना बनाने की कोशिश को नाकाम कर दिया।

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