भारत में इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करना एक महत्वपूर्ण वित्तीय जिम्मेदारी है। लेकिन कई करदाता इनकम टैक्स से जुड़े नियमों को पूरी तरह से नहीं समझ पाते, जिससे उन्हें इनकम टैक्स विभाग से नोटिस मिलने का खतरा रहता है। कई बार यह नोटिस उन जानकारियों में त्रुटियों के कारण भेजा जाता है, जो आपने अपने ITR में भरी होती हैं। इस लेख में हम विभिन्न धाराओं के तहत मिलने वाले इनकम टैक्स नोटिस, उनके कारण और उनसे निपटने के तरीकों को विस्तार से समझेंगे।
विभिन्न सेक्शन्स के तहत मिलने वाले नोटिस
1. सेक्शन 139(9): दोषपूर्ण रिटर्न के लिए नोटिस
यह नोटिस तब भेजा जाता है जब इनकम टैक्स रिटर्न में कोई आवश्यक जानकारी अधूरी होती है या गलत तरीके से भरी जाती है। उदाहरण के लिए, अगर आपने अपनी आय, टैक्स विवरण, या अन्य महत्वपूर्ण जानकारी अधूरी या गलत दी है, तो आपके रिटर्न को “दोषपूर्ण” माना जाएगा। ऐसे मामलों में आपको नोटिस मिलने के बाद 15 दिनों के भीतर जवाब देना होता है। अगर समय पर जवाब नहीं दिया गया, तो आपका रिटर्न अस्वीकृत किया जा सकता है।
2. सेक्शन 143(1): सूचना नोटिस
धारा 143(1) के तहत मिलने वाला नोटिस एक सूचना नोटिस होता है। यह नोटिस विभाग द्वारा तब भेजा जाता है जब:
- आपने अतिरिक्त टैक्स का भुगतान किया है और आपके पास रिफंड योग्य राशि है।
- आपने जो टैक्स भरा है, वह आपकी देयता से कम है और आपको बाकी राशि का भुगतान करना है।
यह नोटिस मात्र जानकारी के लिए होता है और इसमें करदाता को उसकी टैक्स देयता के बारे में सूचित किया जाता है।
3. सेक्शन 143(1)(a): विसंगति नोटिस
धारा 143(1)(a) के तहत मिलने वाला नोटिस तब भेजा जाता है जब आपके ITR और TDS प्रमाणपत्र (जैसे कि फॉर्म 16 और फॉर्म 16A) में किसी प्रकार की विसंगति पाई जाती है। उदाहरण के लिए, अगर आपने अपने ITR में कुछ आय या कटौती की जानकारी दी है जो आपके TDS सर्टिफिकेट से मेल नहीं खाती, तो यह नोटिस आपको मिल सकता है।
4. सेक्शन 142(1): अतिरिक्त जानकारी का अनुरोध
सेक्शन 142(1) के तहत नोटिस तब भेजा जाता है जब असेसिंग ऑफिसर (Assessing Officer) को आपके द्वारा भरे गए ITR में कुछ अतिरिक्त जानकारी की आवश्यकता होती है। यह नोटिस तब भी भेजा जा सकता है जब आपने किसी वर्ष में ITR दाखिल नहीं किया है। इस नोटिस का उत्तर नहीं देने पर आपको 10,000 रुपये का जुर्माना भरना पड़ सकता है, या आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।
5. सेक्शन 156: डिमांड नोटिस
धारा 156 के तहत भेजा गया नोटिस एक डिमांड नोटिस होता है, जिसमें आयकर विभाग करदाता से बकाया टैक्स, पेनल्टी या ब्याज की मांग करता है। इस नोटिस का पालन करते हुए आपको नोटिस मिलने के 30 दिनों के भीतर भुगतान करना होता है। अगर समय पर भुगतान नहीं किया जाता, तो विभाग द्वारा अतिरिक्त कार्रवाई की जा सकती है।
6. सेक्शन 143(2): स्क्रूटनी ऑर्डर
सेक्शन 143(2) के तहत आने वाला नोटिस एक स्क्रूटनी ऑर्डर होता है। इसका मतलब है कि विभाग ने आपकी ITR का गहराई से अध्ययन करना शुरू कर दिया है। यह नोटिस तब भेजा जाता है जब आयकर विभाग को संदेह होता है कि करदाता ने अपनी आय को कम दिखाया है या अधिक छूट का दावा किया है। इस प्रकार के नोटिस का उत्तर देने के लिए करदाता को सभी दस्तावेज प्रस्तुत करने होते हैं।
इनकम टैक्स नोटिस का उत्तर देने के तरीके
1. नोटिस का जवाब देने में देरी न करें
नोटिस मिलने के बाद जितनी जल्दी हो सके उसका उत्तर दें। इससे विभाग में आपकी स्थिति को लेकर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और आपकी परेशानी जल्दी समाप्त हो सकती है। आप www.incometaxindiaefiling.gov.in पर जाकर ऑनलाइन उत्तर दे सकते हैं।
2. सभी दस्तावेज़ एकत्रित करें
नोटिस का जवाब देने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आपके पास आवश्यक सभी दस्तावेज़ हों। जैसे ITR, TDS प्रमाणपत्र, बैंक स्टेटमेंट्स और अन्य वित्तीय दस्तावेज। इससे उत्तर देने में आसानी होती है और किसी प्रकार की गलती से बचा जा सकता है।
3. टैक्स एडवाइजर से सलाह लें
अगर आपको नोटिस का जवाब देने में कोई कठिनाई महसूस हो रही है, तो टैक्स विशेषज्ञ की सहायता लेना उचित होता है। टैक्स एडवाइजर आपके लिए नोटिस को समझने और उसका सही जवाब देने में मदद कर सकता है। विशेषज्ञ की सलाह लेने से आपका उत्तर सटीक और पूर्ण होता है।