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Wheat Storage Tricks: 5 साल तक गेहूं में नहीं लगेंगे कीड़े! जानिए कौन-से देसी उपाय रखेंगे आपका अनाज सुरक्षित

डॉ जितेंद्र कुमार तोमर ने बताए ऐसे अनोखे और असरदार टिप्स जिनसे गेहूं को नमी, फफूंदी और कीड़ों से सालों तक बचाकर घर में स्टोर किया जा सकता है जानिए सल्फोस, नीम और हींग का सही इस्तेमाल और कब-कैसे करें स्टोरेज ताकि फसल रहे पूरी तरह सुरक्षित।

By PMS News
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Wheat Storage Tricks: 5 साल तक गेहूं में नहीं लगेंगे कीड़े! जानिए कौन-से देसी उपाय रखेंगे आपका अनाज सुरक्षित
Wheat Storage Tricks: 5 साल तक गेहूं में नहीं लगेंगे कीड़े! जानिए कौन-से देसी उपाय रखेंगे आपका अनाज सुरक्षित

Wheat Crop की कटाई का सीजन उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में अब पूरी तरह से समाप्त हो चुका है। इस समय किसान अपने अनाज को लंबे समय तक सुरक्षित रखने की तैयारी में जुट गए हैं। आमतौर पर हर किसान की यह चिंता होती है कि कैसे वह अपने गेहूं-Wheat को घर या गोदाम में इस तरह स्टोर करें कि वह खराब न हो और उसमें कीड़े न लगें। इस अहम सवाल का जवाब देने के लिए उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के निदेशक डॉ जितेंद्र कुमार तोमर ने कुछ विशेष सुझाव दिए हैं, जिनका पालन करके गेहूं को कई सालों तक बिना नुकसान के सुरक्षित रखा जा सकता है।

अनाज को पूरी तरह सूखा कर करें स्टोर

डॉ जितेंद्र कुमार तोमर बताते हैं कि सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम है अनाज को अच्छी तरह सुखाना। कभी भी अधपका या नमी युक्त अनाज स्टोर नहीं करना चाहिए। स्टोरेज की जगह पर भी नमी नहीं होनी चाहिए। यदि अनाज में थोड़ी भी नमी रह जाती है, तो उसमें जल्दी फंगस या कीड़े लगने का खतरा रहता है। इसलिए स्टोर करने से पहले गेहूं को पूरी तरह धूप में सुखा लेना चाहिए। इसके अलावा स्टोरेज एरिया को भी समय-समय पर चेक करते रहना जरूरी है। अगर किसी प्रकार की गंध, फंगस या संक्रमण दिखाई दे तो तुरंत अनाज को दोबारा सुखा लेना चाहिए।

सल्फोस की गोली से करें सील, कीड़े नहीं लगेंगे

गेहूं को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए सल्फोस (Celphos) नामक कीटनाशक गोली का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह गोली गैस छोड़ती है जो गेहूं में मौजूद किसी भी प्रकार के कीटाणु या अंडों को नष्ट कर देती है। जब भी गेहूं को स्टोर करें, तो कंटेनर को सल्फोस गोली के साथ सील कर दें। इस उपाय से गेहूं कई वर्षों तक सुरक्षित रह सकता है और उसमें कीड़े नहीं लगेंगे।

नई या अच्छी तरह तैयार की गई बोरियों का करें इस्तेमाल

स्टोरेज के लिए जिन बोरियों का इस्तेमाल किया जाता है, वे भी सुरक्षित भंडारण में अहम भूमिका निभाती हैं। डॉ तोमर कहते हैं कि अगर संभव हो तो हर बार नई बोरियों का उपयोग करना चाहिए। यदि पुरानी बोरियां इस्तेमाल करनी पड़ रही हैं तो उन्हें अच्छी तरह से उलट-पलट कर धूप में सुखाना चाहिए। इसके बाद बोरियों को 5 प्रतिशत नीम के घोल में डालकर सुखा लें, जिससे कीटाणु मर जाएं और बोरियां संक्रमण रहित हो जाएं।

गेहूं की बोरियों को जमीन से 2 फुट ऊपर रखें

स्टोरेज की जगह का चुनाव भी बेहद जरूरी होता है। गेहूं की बोरियों को कभी भी सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए। इन्हें कम से कम दो फुट ऊंचाई पर किसी प्लेटफॉर्म या लकड़ी के तख्ते पर रखना चाहिए, ताकि पानी भरने या सीलन होने की स्थिति में अनाज खराब न हो। इसके साथ ही बोरियों को दीवार से चिपका कर नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इससे भी नमी बढ़ सकती है और गेहूं खराब हो सकता है।

नीम की पत्तियों से मिलेगा प्राकृतिक संरक्षण

नीम का उपयोग एक पारंपरिक और कारगर घरेलू उपाय है। डॉ तोमर बताते हैं कि नीम की सूखी पत्तियों को गेहूं के साथ कंटेनर या ड्रम में मिलाकर रखने से कीटाणु और फफूंदी से सुरक्षा मिलती है। नीम की पत्तियों में प्राकृतिक एंटीफंगल और कीटनाशक गुण होते हैं जो गेहूं को लंबे समय तक खराब होने से बचाते हैं।

हींग का इस्तेमाल भी है कारगर उपाय

डॉ तोमर एक और घरेलू नुस्खा बताते हैं जो हर घर में आसानी से मिल जाता है – हींग (Asafoetida)। हींग को गेहूं में रखने से भी कीड़ों से बचाव किया जा सकता है। हींग की तेज गंध कीटों को दूर रखती है और यह उपाय छोटे स्तर पर घरेलू भंडारण के लिए काफी प्रभावी है।

खाने-पीने के सामान से अलग रखें गेहूं

स्टोरेज के समय यह सुनिश्चित करें कि गेहूं की बोरियां खाने-पीने के अन्य सामान से अलग रखी जाएं। इससे किसी भी प्रकार के संक्रमण, गंध या रासायनिक प्रतिक्रिया से बचा जा सकता है, जिससे अनाज की गुणवत्ता बनी रहती है।

गेहूं की सुरक्षित स्टोरेज से मिलेगा अधिक लाभ

गेहूं की कटाई के बाद किसान का उद्देश्य केवल अच्छी कीमत पाना नहीं होता, बल्कि यह भी होता है कि वह अपने उपयोग के लिए अनाज को सालभर या उससे ज्यादा समय तक सुरक्षित रख सके। अगर ऊपर दिए गए सुझावों को किसान अपनाते हैं, तो वे अपनी फसल को लंबे समय तक बिना किसी नुकसान के स्टोर कर सकते हैं, जिससे भविष्य में उन्हें बाजार पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और अनाज की गुणवत्ता भी बनी रहेगी।

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