High Court Decision: माता-पिता और औलाद के बीच का रिश्ता न सिर्फ भावनात्मक बल्कि सामाजिक और नैतिक कर्तव्यों पर भी आधारित होता है। बच्चों की जिम्मेदारी होती है कि वे अपने माता-पिता का सम्मान करें और उनकी देखभाल करें। हालांकि, संपत्ति से जुड़े मामलों में कई बार यह संबंध तनावपूर्ण हो जाता है।
हाल ही में मद्रास हाईकोर्ट ने माता-पिता और बच्चों के बीच संपत्ति विवाद को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। यह फैसला “माता-पिता और सीनियर सिटीजन्स के रखरखाव व कल्याण अधिनियम” पर आधारित है, जो यह तय करता है कि माता-पिता हस्तांतरित संपत्ति को किन परिस्थितियों में वापस ले सकते हैं।
High Court Decision
मद्रास हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि माता-पिता, जिन्होंने अपनी संपत्ति अपने बच्चों को हस्तांतरित कर दी है, उसे सामान्य परिस्थितियों में वापस नहीं ले सकते। यदि संपत्ति का हस्तांतरण “माता-पिता और सीनियर सिटीजन्स के रखरखाव व कल्याण अधिनियम” के तहत हुआ है और इसमें देखभाल व भरण-पोषण की शर्तें शामिल नहीं हैं, तो संपत्ति पर वापस दावा करना मुश्किल होगा।
यह फैसला एक ऐसे मामले पर आधारित था, जिसमें एक पिता ने अपनी संपत्ति अपने बेटे को दी थी। बाद में, जब बेटे ने पिता की देखभाल करने से इनकार कर दिया, तो पिता ने संपत्ति को वापस लेने की मांग की।
हाईकोर्ट का तर्क और शर्तें
जस्टिस आर. सुब्रमण्यम ने कहा कि “माता-पिता और सीनियर सिटीजन्स के रखरखाव व कल्याण अधिनियम” के तहत संपत्ति हस्तांतरित करने के लिए दो महत्वपूर्ण शर्तें हैं:
- हस्तांतरण अधिनियम लागू होने के बाद किया गया हो
यह अधिनियम 2007 में लागू हुआ। यदि संपत्ति का हस्तांतरण इस अधिनियम के लागू होने के बाद किया गया है, तभी माता-पिता इस अधिनियम के प्रावधानों का लाभ उठा सकते हैं। - भरण-पोषण की शर्त का उल्लेख
संपत्ति हस्तांतरण के समय यह स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए कि बच्चों को माता-पिता की देखभाल और भरण-पोषण करना होगा। यदि इस शर्त का पालन नहीं होता, तो संपत्ति को वापस लेने का दावा किया जा सकता है।
संपत्ति विवाद और माता-पिता का अधिकार
संपत्ति के मामलों में माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दस्तावेजों में सभी शर्तें दर्ज हों। यदि बच्चों द्वारा उनकी देखभाल में लापरवाही या धोखाधड़ी साबित होती है, तो माता-पिता सिविल कोर्ट में दस्तावेजों को अमान्य घोषित करने की मांग कर सकते हैं।
न्यायालय ने क्या कहा?
जस्टिस ने कहा कि माता-पिता भरण-पोषण न्यायाधिकरण में शिकायत कर सकते हैं और अपनी संपत्ति को धोखाधड़ी या अन्य कारणों से अमान्य घोषित करने की मांग कर सकते हैं।
कानून का उद्देश्य
“माता-पिता और सीनियर सिटीजन्स के रखरखाव व कल्याण अधिनियम” का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बुजुर्गों को उनके बच्चों द्वारा उचित देखभाल और भरण-पोषण मिले। यह कानून माता-पिता और बुजुर्गों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करता है, खासकर जब बच्चे अपने दायित्वों का निर्वहन करने में विफल होते हैं।
संपत्ति हस्तांतरण में ध्यान रखने योग्य बातें
- संपत्ति हस्तांतरण के समय यह सुनिश्चित करें कि देखभाल और भरण-पोषण की शर्तें स्पष्ट रूप से लिखी गई हों।
- संपत्ति हस्तांतरण से पहले एक अनुभवी वकील से परामर्श लें।
- यदि बच्चे अपने दायित्व पूरे नहीं करते हैं, तो माता-पिता न्यायालय का सहारा ले सकते हैं।