हरियाणा सरकार ने शीतकालीन छुट्टियों के दौरान नियमों का उल्लंघन करने वाले निजी स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। राज्य में कई निजी स्कूल छुट्टियों के बावजूद अपने परिसर खोल रहे हैं और स्कूल स्टाफ को अनावश्यक रूप से बुलाया जा रहा है। शिक्षा विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसा करने वाले स्कूलों की मान्यता रद्द की जा सकती है। यह कदम छात्रों, शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की भलाई और नियमों के पालन को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है.
शीतकालीन छुट्टियों की घोषणा
हरियाणा सरकार ने राज्य के सभी सरकारी और निजी स्कूलों के लिए शीतकालीन छुट्टियों की घोषणा की थी। सर्दी के बढ़ते प्रकोप और छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, यह निर्णय लिया गया था।
नियमों का उल्लंघन
शिकायतें सामने आई हैं कि कुछ निजी स्कूल शीतकालीन छुट्टियों के दौरान भी खुल रहे हैं। स्कूल प्रशासन छात्रों को तो नहीं बुला रहे हैं, लेकिन शिक्षकों और अन्य स्टाफ को बिना किसी विशेष कारण के बुलाया जा रहा है। इससे शिक्षकों और स्टाफ को ठंड के मौसम में अनावश्यक रूप से परेशान किया जा रहा है।
शिक्षा विभाग की सख्ती
हरियाणा शिक्षा विभाग ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है। विभाग ने कहा है कि किसी भी स्कूल को नियमों का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। जो स्कूल छुट्टियों के दौरान खुलते पाए जाएंगे, उनकी मान्यता रद्द की जा सकती है।
औचक निरीक्षण का आदेश
शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे अपने क्षेत्र में निजी स्कूलों का औचक निरीक्षण करें। यदि कोई स्कूल खुला पाया जाता है या स्टाफ को बुलाया जाता है, तो उसके खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
छात्रों और स्टाफ की सुरक्षा
छात्रों और स्टाफ की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। सर्दी के मौसम में ठंड और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। शीतकालीन छुट्टियां इसी उद्देश्य से घोषित की गई थीं ताकि सभी सुरक्षित रह सकें।
स्कूल प्रशासन को चेतावनी
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूलों को बख्शा नहीं जाएगा। न केवल उनकी मान्यता रद्द की जाएगी, बल्कि अन्य प्रशासनिक दंड भी दिए जा सकते हैं।
इस आदेश का उद्देश्य
- सभी स्कूलों को सरकारी निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य करना।
- शिक्षकों और स्टाफ को ठंड में अनावश्यक रूप से बुलाना उनके अधिकारों का उल्लंघन है।
- छात्रों और स्टाफ की स्वास्थ्य सुरक्षा को प्राथमिकता देना।
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