हरियाणा में शहरी विकास और बेहतर पार्किंग व्यवस्था को लेकर नगर और ग्राम नियोजन विभाग ने भवन कोड-2017 में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया है। अब गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल सहित अन्य शहरों में चार मंजिला इमारतों (Four-story buildings with stilt parking) के लिए स्टिल्ट पार्किंग अनिवार्य होगी। यह नियम व्यक्तिगत स्वामित्व वाली इमारतों और विभाजित फ्लैटों दोनों पर लागू होगा। तीन मंजिला इमारतों को इससे छूट दी जाएगी।
तीन मंजिला भवनों को छूट
नई नीति के तहत, स्वयं उपयोग के लिए तीन मंजिला भवनों को स्टिल्ट पार्किंग से मुक्त रखा गया है। यह प्रावधान व्यक्तिगत स्वामित्व वाले छोटे घरों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। लेकिन चार मंजिला भवनों को पार्किंग व्यवस्था के लिए स्तंभों पर आधारित आधार तल तैयार करना अनिवार्य होगा।
डस्ट पोर्टल पर पंजीकरण जरूरी
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के 500 वर्ग मीटर या उससे बड़े प्लॉट पर निर्माण और तोड़फोड़ के लिए डस्ट पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा। इसके बिना भवन निर्माण का रजिस्ट्रेशन संभव नहीं होगा। यह कदम निर्माण से उत्पन्न धूल और प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए उठाया गया है।
हाई कोर्ट में नीति पर सवाल
हरियाणा सरकार की स्टिल्ट प्लस चार मंजिला भवन नीति को पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दी है। उनका दावा है कि पंचकूला और आसपास के क्षेत्र भूकंपीय क्षेत्र-चार (Seismic Zone-4) में आते हैं, और बिना वैज्ञानिक अध्ययन के इस तरह की नीति बनाना जोखिम भरा हो सकता है।
स्टिल्ट पार्किंग क्या है?
स्टिल्ट पार्किंग एक आधुनिक पार्किंग तकनीक है, जिसमें बिल्डिंग का आधार तल स्तंभों पर खड़ा किया जाता है। इससे बेसमेंट या ग्राउंड फ्लोर का उपयोग वाहनों की पार्किंग के लिए किया जाता है। यह शहरी क्षेत्रों में जगह के अधिकतम उपयोग का एक कुशल और व्यवस्थित तरीका है।
चार मंजिला इमारतों पर क्यों जोर?
चार मंजिला इमारतों में स्टिल्ट पार्किंग को अनिवार्य करने का उद्देश्य शहरी इलाकों में पार्किंग की समस्या को हल करना और जगह के अधिकतम उपयोग को बढ़ावा देना है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की नीतियों के लिए विस्तृत वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग अध्ययन की जरूरत है।
नए नियमों से संभावित लाभ
हरियाणा में स्टिल्ट पार्किंग के अनिवार्य होने से शहरी विकास को नई दिशा मिलेगी। इसके संभावित फायदे निम्नलिखित हैं:
- यातायात की सुगमता और जगह का अधिकतम उपयोग।
- भूकंपीय क्षेत्रों के लिए विशेष डिज़ाइन की संभावना।
- बड़े शहरों में मल्टी-स्टोरी इमारतों का विस्तार।
आम जनता से सुझाव मांगे गए
नगर और ग्राम नियोजन विभाग ने इस नीति पर जनता से सुझाव और आपत्तियां मांगी हैं। हितधारक 1 फरवरी तक अपने विचार साझा कर सकते हैं। इन सुझावों के आधार पर अंतिम नीति तैयार की जाएगी, ताकि यह सभी के लिए व्यावहारिक और सुरक्षित हो।