ग्रामीण भारत में संपत्ति विवादों की समस्या वर्षों से एक बड़ी चुनौती रही है। गांवों में बने घर-मकान और उनकी जमीनों के अस्पष्ट मालिकाना हक के कारण आए दिन विवाद होते हैं। इन विवादों से निपटने और भविष्य में ग्रामीणों को उनकी संपत्ति का स्पष्ट मालिकाना हक दिलाने के लिए मोदी सरकार ने स्वामित्व योजना की शुरुआत की है। यह योजना ग्रामीण संपत्तियों का ड्रोन और जीआईएस तकनीक के जरिए सर्वेक्षण कर, ग्रामीणों को स्वामित्व कार्ड वितरित करने का वादा करती है।
स्वामित्व योजना का उद्देश्य
इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बसे हुए इलाकों को राजस्व दस्तावेजों में शामिल कर संपत्ति का अधिकार रिकॉर्ड (RoR) बनाना है। पंचायती राज मंत्रालय के केंद्रीय सचिव विवेक भारद्वाज के अनुसार, 2026 तक 2.19 करोड़ ग्रामीण संपत्ति कार्ड वितरित करने का लक्ष्य है। यह कार्ड ग्रामीणों को अपनी संपत्ति को बैंकों के पास गिरवी रखकर कर्ज लेने में मदद करेगा। अब तक 1.37 करोड़ कार्ड वितरित किए जा चुके हैं, और 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 58 लाख नए कार्ड जारी किए।
ड्रोन तकनीक और व्यापक सर्वेक्षण
इस योजना के तहत, 3,44,868 गांवों में ड्रोन तकनीक से सर्वेक्षण किया जाएगा। अब तक 92% गांवों का सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। ड्रोन के माध्यम से सटीक सीमांकन किया जाता है, जिससे संपत्ति का स्वामित्व स्पष्ट होता है। यह तकनीक ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्तियों का अद्यतन रिकॉर्ड तैयार करने में कारगर साबित हो रही है।
राज्यों की भागीदारी और चुनौतियां
हालांकि, कुछ राज्यों ने अभी तक इस योजना को पूरी तरह से लागू नहीं किया है। पश्चिम बंगाल, बिहार, तेलंगाना, मेघालय, और नगालैंड ने इस योजना में भाग नहीं लिया, जबकि तमिलनाडु ने केवल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसे अपनाया है। इस वजह से निर्धारित समय सीमा से एक साल की देरी होने की संभावना है।
कर्ज दिलाने और विवाद कम करने का प्रयास
ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय संस्थानों से कर्ज लेने में सबसे बड़ी बाधा संपत्ति के स्वामित्व की अस्पष्टता है। स्वामित्व योजना न केवल ग्रामीणों को कर्ज दिलाने में सहायक होगी, बल्कि यह संपत्ति विवादों को भी कम करेगी। यह योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल है।