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Income Tax: अब ₹10,50,000 तक की सैलरी पर नहीं लगेगा टैक्स? सरकार की बड़ी तैयारी मिलेगी राहत!

सरकार मिडिल क्लास टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत देने की तैयारी में है। आगामी बजट में ₹10.5 लाख तक की आय पर टैक्स कटौती का प्रस्ताव रखा जा सकता है, जिससे उपभोक्ता खर्च बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। यह कदम भारतीय कर प्रणाली को सरल बनाने में भी मदद करेगा।

By PMS News
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Income Tax: अब ₹10,50,000 तक की सैलरी पर नहीं लगेगा टैक्स? सरकार की बड़ी तैयारी मिलेगी राहत!
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भारत के मिडिल क्लास टैक्सपेयर्स के लिए आगामी बजट 2025 में एक बड़ी राहत की संभावना जताई जा रही है। खबरों के अनुसार, सरकार इस बार के बजट में सालाना ₹10.5 लाख तक की आय पर टैक्स देनदारी को घटाने पर विचार कर रही है। यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो इससे देश के लाखों करदाताओं को राहत मिल सकती है और यह आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा दे सकता है।

सरकार का लक्ष्य धीमी अर्थव्यवस्था और बढ़ती महंगाई के बीच खपत को बढ़ावा देना है। इस प्रस्ताव के जरिए, उम्मीद जताई जा रही है कि मध्यम वर्ग के लोगों की डिस्पोजेबल इनकम बढ़ेगी, जिससे उपभोक्ताओं की खरीद क्षमता में सुधार हो सकता है।

वर्तमान टैक्स संरचना और प्रस्तावित कटौती

वर्तमान में, भारत में ₹3 लाख से ₹10.5 लाख तक की आय पर 5% से 20% तक टैक्स लगाया जाता है। ₹10.5 लाख से अधिक की आय पर 30% टैक्स दर लागू होती है। यदि सरकार इस प्रस्ताव को मंजूरी देती है, तो टैक्स स्लैब में कटौती की जाएगी, जिससे मिडिल क्लास टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स बोझ कम हो सकता है। इसके साथ ही, सरकार उन करदाताओं को भी आकर्षित करने का प्रयास कर रही है, जो न्यू रिजीम (2020) को अपनाने से हिचकिचाते हैं।

इस रिजीम में कम टैक्स दरें हैं, लेकिन अधिकांश छूट हटा दी गई हैं। प्रस्तावित कटौती के जरिए, सरकार चाहती है कि अधिक लोग न्यू रिजीम को अपनाएं, ताकि देश के कर ढांचे को सरल बनाया जा सके और कर वसूली में वृद्धि हो।

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आर्थिक और राजनीतिक संदर्भ

भारत की जीडीपी वृद्धि जुलाई-सितंबर 2024 के दौरान सात तिमाहियों में सबसे कमजोर रही है। इस दौरान, खाद्य मुद्रास्फीति ने शहरी परिवारों की आय पर दबाव बढ़ाया है, जिससे वाहन, घरेलू सामानों और व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों की मांग में गिरावट आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि प्रस्तावित कटौती लागू होती है, तो उपभोक्ताओं के पास अधिक डिस्पोजेबल इनकम आएगी, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था में गति आ सकती है। यह कदम आर्थिक गतिविधियों को तेज करने के साथ-साथ उपभोक्ता विश्वास को भी बढ़ावा दे सकता है।

सरकार का रुख और संभावित प्रभाव

वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, टैक्स कटौती के आकार और अन्य विवरणों का निर्णय बजट की तारीख के पास लिया जाएगा। हालांकि, इस प्रस्ताव को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, और यह भी स्पष्ट नहीं है कि इसके लागू होने से सरकार के रेवेन्यू पर क्या प्रभाव पड़ेगा। सरकार को उम्मीद है कि टैक्स कटौती के बावजूद, अधिक लोग नई रिजीम के साथ जुड़ने के कारण रेवेन्यू का नुकसान कम हो जाएगा। इससे सरकार को टैक्स व्यवस्था को सरल बनाने के अपने उद्देश्य को पूरा करने में मदद मिलेगी।

लाभ की उम्मीदें और भविष्य की दिशा

यदि इस प्रस्ताव को लागू किया जाता है, तो लाखों टैक्सपेयर्स को राहत मिल सकती है। इससे न केवल मिडिल क्लास के लोगों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि भारत की आर्थिक गतिविधियों में भी तेज़ी आ सकती है। इसके अतिरिक्त, सरकार की ओर से सरलीकृत कर ढांचे को लागू करने का उद्देश्य भी पूरा होगा, जिससे टैक्स प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और प्रभावी बन सकेगी। यह कदम एक सकारात्मक दिशा में उठाया जा सकता है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को भी फायदा हो सकता है।

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