हिमाचल प्रदेश नेरचौक मेडिकल कॉलेज सहित सरकारी भवनों के लिए 92 बीघा जमीन पर सरकार के कब्जे का मामला एक बार फिर चर्चा में है। जमीन के असली मालिक मीर बख्श ने अदालत में ₹1000 करोड़ से ज्यादा मुआवजे की मांग की है। उनका कहना है कि वह सरकार के साथ बातचीत करने को तैयार हैं, लेकिन सरकार को वार्ता के लिए पहल करनी होगी।
92 बीघा जमीन पर सरकारी कब्जा
मंडी जिले के नेरचौक में 92 बीघा निजी जमीन पर सरकार ने मिनी सचिवालय, कृषि केंद्र, पशु औषधालय और मेडिकल कॉलेज का निर्माण कर लिया है। यह जमीन मीर बख्श के पूर्वजों की थी। मीर बख्श ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया। अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि जमीन के बदले वैकल्पिक जमीन दी जाए, लेकिन बख्श ने सरकार की ओर से दी गई जमीन को नामंजूर कर दिया।
मुआवजे की मांग और समाधान का प्रस्ताव
मीर बख्श ने ₹1000 करोड़ का मुआवजा मांगा है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार इस मामले में बातचीत करना चाहती है, तो वह नेगोशिएशन के लिए तैयार हैं। बख्श ने कोर्ट में भी लिखित में यह प्रस्ताव दिया है। हालांकि, उन्हें इस बात का मलाल है कि इतने सालों तक मामले के समाधान के लिए सरकार ने कोई पहल नहीं की।
1956 से जारी है संघर्ष
मीर बख्श ने बताया कि उनके पिता सुल्तान मोहम्मद ने 1956 में इस जमीन को वापस पाने की लड़ाई शुरू की थी। 1983 में उनके पिता का निधन हो गया, लेकिन लड़ाई जारी रही। 1992 में मीर बख्श ने यह लड़ाई अपने हाथों में ली और 2009 में हाईकोर्ट से केस जीत लिया। हालांकि, सरकार ने डबल बेंच और फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, लेकिन सभी फैसले बख्श के पक्ष में रहे।
विभाजन के बाद की कहानी
देश के विभाजन के दौरान मीर बख्श का परिवार भारत में ही रहा, लेकिन सरकार ने यह मान लिया कि उनका परिवार पाकिस्तान चला गया है। निष्क्रांत संपत्ति कानून के तहत इस जमीन पर सरकार का कब्जा हो गया। मीर बख्श के पिता को अपनी ही जमीन नीलामी में 500 रुपये देकर वापस खरीदनी पड़ी।
कई हिस्सेदार भी हैं शामिल
92 बीघा जमीन के मालिक केवल मीर बख्श नहीं हैं। उनकी बहनें और बड़े भाई की बेटी भी इस संपत्ति की हिस्सेदार हैं। मीर बख्श के तीन बेटे और एक बेटी हैं। परिवार खेती और ट्रांसपोर्ट के व्यवसाय से जुड़ा हुआ है।
सरकार का अब तक रुख
सरकार की ओर से अभी तक इस मामले में बातचीत के लिए कोई पहल नहीं की गई है। मीर बख्श ने कहा कि अदालत के आदेश के बावजूद उन्हें न्याय नहीं मिला। उन्होंने उम्मीद जताई है कि सरकार इस मुद्दे को सुलझाने के लिए वार्ता करेगी।
क्या होगा अगला कदम?
मीर बख्श की मुआवजे की मांग और अदालत के आदेश के बाद भी सरकार का रुख स्पष्ट नहीं है। मामले की गंभीरता और कानूनी प्रक्रिया को देखते हुए, यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस पर क्या फैसला लेती है।