
Gold Price यानी सोने की कीमतों में हाल ही में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। MCX पर सोने की कीमतें जहां पहले 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के करीब थीं, वहीं अब यह घटकर लगभग 93,000 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ चुकी हैं। यह गिरावट करीब 7,000 रुपये की मानी जा रही है, जो निवेशकों और आम लोगों के लिए एक चर्चा का विषय बन गई है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह गिरावट वैश्विक और घरेलू आर्थिक संकेतकों की वजह से आई है। अमेरिकी डॉलर की मजबूती, वैश्विक आर्थिक स्थिरता और भू-राजनीतिक तनावों में कमी ने सोने की मांग को अस्थायी रूप से कमजोर किया है।
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भारत में, जहां सोना सिर्फ एक निवेश माध्यम नहीं बल्कि सांस्कृतिक और पारिवारिक विरासत का प्रतीक भी है, वहां इस कीमत में गिरावट ने निवेशकों के लिए एक नई रणनीति अपनाने का संकेत दिया है।
सोने में निवेश: क्या यह सही समय है?
अक्सर जब Gold Price में तेज गिरावट होती है, तो निवेशकों के मन में सबसे पहला सवाल यही आता है—क्या अब निवेश करना सही रहेगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कोई व्यक्ति लंबी अवधि यानी 5 से 10 साल के लिए निवेश की योजना बना रहा है, तो यह समय बेहद अनुकूल हो सकता है।
सोना हमेशा से ही मुद्रास्फीति (Inflation) और आर्थिक अनिश्चितता के दौर में एक सुरक्षित निवेश विकल्प माना गया है। ऐसे में, वर्तमान गिरावट को निवेश के एक अवसर के रूप में देखा जा सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो धीरे-धीरे अपने निवेश को बढ़ाना चाहते हैं।
चरणबद्ध निवेश बन सकता है रणनीति
बाजार की मौजूदा अस्थिरता को देखते हुए, जानकार सलाह देते हैं कि एक बार में बड़ा निवेश करने के बजाय SIP या चरणबद्ध निवेश का तरीका अपनाना बेहतर रहेगा।
इससे न केवल जोखिम में कमी आती है बल्कि बाजार के उतार-चढ़ाव का फायदा उठाकर औसत खरीद मूल्य को भी संतुलित किया जा सकता है।
फिजिकल गोल्ड से आगे बढ़कर डिजिटल विकल्प
- भारत में अब निवेशक फिजिकल गोल्ड के अलावा अन्य स्मार्ट विकल्पों की तरफ भी तेजी से बढ़ रहे हैं।
- Gold ETF और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond – SGB) जैसे निवेश माध्यम कई फायदे प्रदान करते हैं।
- इनमें स्टोरेज की चिंता नहीं होती, टैक्स लाभ मिलता है और इन्हें बाजार में आसानी से खरीदा-बेचा जा सकता है।
- सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स की खास बात यह है कि इसमें निवेशकों को 2.5% तक सालाना ब्याज भी मिलता है, जो फिजिकल गोल्ड में संभव नहीं है।
निवेश से पहले वित्तीय स्थिति का मूल्यांकन जरूरी
हालांकि, सोने में निवेश करने से पहले अपनी जोखिम लेने की क्षमता (Risk Appetite), मौजूदा वित्तीय स्थिति और दीर्घकालिक लक्ष्य (Financial Goals) का मूल्यांकन करना बेहद जरूरी है।
अगर आप पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन चाहते हैं, तो निवेश सलाहकारों का सुझाव है कि अपने कुल निवेश का 10-15% हिस्सा सोने में रखना समझदारी हो सकती है।
इससे न केवल पोर्टफोलियो में स्थिरता बनी रहती है, बल्कि किसी भी आर्थिक झटके के समय यह एक सेफ हैवन के रूप में कार्य करता है।
बाजार पर रखें नजर, विशेषज्ञों की लें सलाह
Gold Price में आई गिरावट भले ही अस्थायी हो, लेकिन लंबे समय में सोने की कीमतें फिर से ऊपर जाने की संभावना बनी रहती है।
इसलिए यह जरूरी है कि निवेशक नियमित रूप से बाजार की गतिविधियों पर नजर रखें और निवेश से पहले विशेषज्ञों की सलाह जरूर लें।
सोने का आकर्षण सदियों से कायम है, लेकिन सही रणनीति के साथ निवेश ही सफलता की कुंजी बन सकता है।