केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को एनडीटीवी द्वारा आयोजित हरित और नवीकरणीय ऊर्जा सम्मेलन में कहा कि आने वाले समय का ईंधन 100 प्रतिशत बायो-एथनॉल होगा। यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश में सरकार की ई20 योजना, यानी पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल मिलाने की नीति, पर बहस और विरोध बढ़ गया है।

गडकरी ने कहा कि एथनॉल के उपयोग से प्रदूषण में कमी आई है और इसका मुख्य उद्देश्य देश की तेल पर निर्भरता घटाना और वाहनों से निकलने वाले धुएं को कम करना है। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि वाहन कम से कम प्रदूषण करें और ऊर्जा का स्रोत अपने देश में ही बने।
भारत में वाहनों की बड़ी संख्या और ई20 का महत्व
गडकरी ने बताया कि भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और यहां वाहनों की संख्या भी बहुत अधिक है। वाहन स्वामित्व के मामले में केवल चीन और अमेरिका ही भारत से आगे हैं। इस स्थिति में विदेशी तेल पर निर्भर रहना देश के लिए आर्थिक और पर्यावरण दोनों दृष्टियों से नुकसानदायक है।
ई20 योजना, सरकार के एथनॉल-मिश्रित पेट्रोल कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य आयातित तेल पर निर्भरता कम करना और स्वच्छ ईंधन का उपयोग बढ़ाना है।
एथनॉल मिलाने की प्रगति
वित्तीय वर्ष 2022-23 में देश में एथनॉल मिलाना औसतन 12.06 प्रतिशत था, जो अगले वर्ष बढ़कर 14.6 प्रतिशत हो गया। इस वर्ष फरवरी तक यह 19.6 प्रतिशत हो गया था और इसके तुरंत बाद 20 प्रतिशत का लक्ष्य हासिल कर लिया गया। हालांकि, इस बदलाव को लेकर कई वाहन मालिकों ने चिंता व्यक्त की है, खासकर पुराने वाहनों के इंजन पर इसके असर को लेकर।
लोगों की नाराज़गी और कानूनी चेतावनी
आंध्र प्रदेश के एक कार मालिक वेंकटेश अला ने सोशल मीडिया मंच एक्स (पहले ट्विटर) पर ई20 योजना को “सीधा धोखा” बताते हुए सरकार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी। उन्होंने कहा, “अगर मेरे वाहन को एथनॉल मिले पेट्रोल से कोई नुकसान हुआ, तो मैं पेट्रोलियम मंत्रालय के सभी अधिकारियों को अदालत में ले जाऊंगा। शुद्ध और मिश्रित पेट्रोल अलग-अलग बेचना चाहिए, चुनने का अधिकार उपभोक्ता का है।”
सरकार का जवाब डर बेबुनियाद
पेट्रोलियम मंत्रालय ने इन आरोपों को “तकनीकी आधारहीन” बताया और कहा कि एथनॉल मिलाने से वाहन को नुकसान पहुंचने का कोई प्रमाण नहीं है। मंत्रालय ने माना कि एथनॉल की ऊर्जा कम होती है, जिससे गाड़ियों की माइलेज थोड़ी घट सकती है। ई10 के लिए बने और ई20 के लिए ठीक किए गए चार पहिया वाहनों में माइलेज 1-2 प्रतिशत घट सकती है, जबकि अन्य वाहनों में यह कमी 3-6 प्रतिशत तक हो सकती है।
इंजन में जंग लगने को लेकर मंत्रालय ने कहा कि एथनॉल-उपयुक्त सामग्री और जंग रोकने वाले रसायनों का इस्तेमाल अनिवार्य किया गया है, जिसे मानक एजेंसियों द्वारा सुनिश्चित किया जाता है।
आयात बचत और किसानों को फायदा
सरकार ने कहा कि ई20 योजना पर्यावरण के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी जरूरी है। वर्ष 2014-15 से अब तक एथनॉल मिलाने से देश ने 1.4 लाख करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी मुद्रा बचाई है और 700 लाख टन कार्बन धुआं कम किया है। एथनॉल गन्ने और कृषि के बचे हिस्सों से बनाया जाता है, जिससे यह पर्यावरण के अनुकूल और आर्थिक रूप से लाभदायक है। इससे किसानों को अब तक 1.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक की अतिरिक्त कमाई हुई है।
वैश्विक हालात और ऊर्जा सुरक्षा
मंत्रालय ने कहा कि दुनिया की मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में ऊर्जा सुरक्षा बहुत जरूरी है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रूस से तेल खरीदने पर भारत पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाने के फैसले ने इस जरूरत को और बढ़ा दिया है। ई20 योजना के माध्यम से भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों में आत्मनिर्भर बन सकता है।