देश की जनता को हाल ही में उम्मीद थी कि नई सरकार अपने आम बजट में पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाकर इनके दाम कम करेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिससे आम लोगों को निराशा हाथ लगी। इसका असर ऑटोमोबाइल उद्योग पर भी पड़ा और कारों की बिक्री में गिरावट देखी गई। हालांकि, अब सरकार ने एक नई रणनीति तैयार की है, जो देश की पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।
क्या है सरकार की योजना?
सरकार ने पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से निजात पाने के लिए एक वैकल्पिक ईंधन व्यवस्था को बढ़ावा देने का फैसला लिया है। देश के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में जानकारी दी कि बाजार में जल्द ही फ्यूल फ्लेक्स इंजन वाली कारें उपलब्ध होंगी। ये कारें इथेनॉल से चलेंगी, जो एक सस्ता और पर्यावरण के अनुकूल ईंधन है।
नितिन गडकरी के अनुसार, टोयोटा कंपनी ने इथेनॉल से चलने वाली एक कार लॉन्च भी कर दी है, जो गन्ने के रस से बने इथेनॉल का उपयोग करती है। इस कार को चलाने की लागत मात्र 15 रुपए प्रति लीटर है, जो पेट्रोल के मुकाबले बेहद सस्ती है।
आम जनता के लिए कब आएंगी ये कारें?
हालांकि, गडकरी ने यह स्पष्ट नहीं किया कि ये कारें आम जनता के लिए कब तक उपलब्ध होंगी, लेकिन उन्होंने आश्वासन दिया कि यह बदलाव जल्द ही देखने को मिलेगा। सरकार और कार निर्माता कंपनियों के बीच इस मुद्दे पर बातचीत चल रही है। एक बार यह तकनीक व्यापक रूप से उपलब्ध हो गई, तो महंगे पेट्रोल और डीजल से जनता को राहत मिलने की उम्मीद है।
क्या है फ्लेक्स फ्यूल?
फ्लेक्स फ्यूल एक प्रकार का वैकल्पिक ईंधन है, जिसमें पेट्रोल के साथ इथेनॉल या मेथनॉल जैसी सामग्री को मिलाया जाता है। इसका उद्देश्य पेट्रोल-डीजल की खपत को कम करना और पर्यावरण के प्रति अधिक जिम्मेदारी दिखाना है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह ईंधन न केवल सस्ता है, बल्कि इससे प्रदूषण भी कम होता है। गडकरी ने बताया कि फ्लेक्स फ्यूल इंजन कम लागत में तैयार किए जा सकते हैं, जिससे भविष्य में कारों की कीमतों में भी कमी आ सकती है।