देश भर में IAS गुरु डॉ. विकास दिव्यकीर्ति (Dr Vikas Divyakirti) के विवादित वीडियो क्लिप को लेकर काफी बवाल मचा हुआ है। इस वीडियो में दिव्यकीर्ति कथित तौर पर रामायण की चौपाइयों का उल्लेख करते हुए श्रीराम और देवी सीता के बारे में अपमानजनक टिप्पणियाँ कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना की जा रही है, और कई लोग उन्हें हिंदू विरोधी तक बता रहे हैं।
दूसरी ओर, उनके समर्थक इस वीडियो को गलत तरीके से पेश किए जाने का आरोप लगा रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि यह सब अफवाहों का हिस्सा है। इस विवाद को लेकर लल्लनटॉप के एडिटर सौरभ द्विवेदी ने डॉ. विकास दिव्यकीर्ति से विस्तार से बातचीत की, जिसमें उन्होंने खुद को लेकर कुछ दिलचस्प बातें साझा कीं।
विकास दिव्यकीर्ति का व्यक्तित्व और शिक्षा यात्रा
डॉ. विकास दिव्यकीर्ति का जन्म 26 दिसंबर 1973 को हरियाणा के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। वे बचपन से ही एक मेधावी छात्र रहे हैं। उनके माता-पिता दोनों ही हिंदी के प्रोफेसर थे, और उनके घर में शिक्षा का माहौल था। दिल्ली विश्वविद्यालय से बीए, एमए, एमफिल और पीएचडी की डिग्री प्राप्त करने के बाद, उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में ही शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया। इसके बाद, 1996 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में सफलता प्राप्त की और गृह मंत्रालय में आईएएस अधिकारी के रूप में अपनी पोस्टिंग पाई।
हालांकि, उन्हें सरकारी सेवा में मन नहीं लगा और एक साल बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। उनका सपना था कि वे बच्चों को पढ़ाएं, इस वजह से उन्होंने 1999 में ‘दृष्टि IAS’ कोचिंग संस्थान की स्थापना की। आज, डॉ. विकास दिव्यकीर्ति के Drishti IAS के यूट्यूब चैनल पर 95 लाख से अधिक सब्सक्राइबर हैं, जो उनकी सफलता को दर्शाता है।
राजनीति से जुड़ा बचपन और संघर्ष की कहानी
डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने खुद बताया कि वे बचपन में ही राजनीति में रुचि रखते थे। दिल्ली विश्वविद्यालय में आने के बाद, उनका इरादा था कि वे राजनीति में कदम रखें। उनके पिता की इच्छा भी यही थी, कि उनका बेटा बड़े राजनीतिक नेता बने। इसके अलावा, वे दिल्ली में आंदोलन में भी भाग लेते थे, और उनका कहना था कि जब वे 16 साल के थे, तब उन्होंने यह महसूस किया कि इस समय समाज में बदलाव लाने के लिए उन्हें आंदोलन से जुड़ना चाहिए था।
एक खौ़फनाक हादसा से चुनाव न लड़ने का निर्णय किया
एक दिलचस्प घटना के बारे में डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने बताया कि उनके जीवन के पहले वर्ष में ही परिवार के सामने आर्थिक संकट आ गया था। उन्होंने चुनाव न लड़ने का निर्णय लिया, हालांकि उस समय कॉलेज के सीनियरों द्वारा उन्हें इस फैसले पर संदेह जताया गया था।
डॉ. दिव्यकीर्ति ने बताया कि जिस छात्र को चुनाव लड़वाया गया था, उसे बाद में चाकू मारे गए थे, हालांकि वह छात्र अब भी जीवित है। उन्होंने कहा कि वे खुद को एक ‘पत्थर दिल इंसान’ मानते थे, लेकिन अपनी मां की मृत्यु के बाद उन्होंने महसूस किया कि उनका दिल भी संवेदनशील था।