भारत में कोविड-19 महामारी के कारण काफी समय से रुकी हुई जनगणना अब 2025 में शुरू होने की संभावना है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बार का जनगणना सर्वेक्षण 2025 से लेकर 2026 तक जारी रहेगा। हालांकि सरकार की तरफ से अभी इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन यह माना जा रहा है कि जनगणना का यह अभियान तय समय पर शुरू किया जाएगा।
2011 के बाद पहली जनगणना
देश में पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। इसके बाद, 2021 में जनगणना होने की उम्मीद थी, लेकिन कोविड के चलते इसे स्थगित कर दिया गया। अब ताजा जनगणना के पूरा होने के बाद लोकसभा सीटों का परिसीमन किए जाने की संभावना है, जो 2028 तक चलेगा। परिसीमन से सीटों के नए सिरे से बंटवारे का मार्ग प्रशस्त होगा, जिससे राजनीतिक और सामाजिक संरचना पर प्रभाव पड़ सकता है.
जातिगत जनगणना की बढ़ती मांग
इस जनगणना को लेकर विपक्षी दलों की ओर से जातिगत जनगणना की मांग लगातार बढ़ रही है। विपक्ष का मानना है कि जातिगत जनगणना से विभिन्न वर्गों की वास्तविक स्थिति का पता चलेगा, जो विकास कार्यों में समानता सुनिश्चित करने में मददगार हो सकता है।
मृत्युंजय कुमार नारायण का कार्यकाल बढ़ा
भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण का कार्यकाल अगस्त 2026 तक बढ़ा दिया गया है। 1995 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के IAS अधिकारी नारायण 2020 से इस पद पर कार्यरत हैं। उनकी नियुक्ति से जनगणना की दिशा में ठोस प्रयासों को मजबूती मिलेगी और वह इस महत्वपूर्ण कार्य का सफलतापूर्वक नेतृत्व करेंगे।
जनगणना की तैयारी पर गृह मंत्रालय का बयान
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अगस्त में जनगणना को लेकर बयान दिया था कि यह अभ्यास उचित समय पर शुरू किया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रक्रिया का निर्णय लेकर वह स्वयं इस बारे में घोषणा करेंगे कि इसे किस प्रकार से संचालित किया जाएगा।
जनगणना का महत्व
जनगणना के जरिए देश की जनसंख्या, सामाजिक और आर्थिक स्थिति का विस्तृत डेटा मिलता है, जो नीति-निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। जनगणना 2025 से जनसंख्या, संसाधन आवंटन और विकास योजनाओं के सटीक प्रबंधन में सहूलियत होगी।