
उत्तर प्रदेश में बिजली दरों (Electricity Tariff) को लेकर चल रही खींचतान एक बार फिर सुर्खियों में है। उपभोक्ता परिषद ने उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के संशोधित बिजली दर प्रस्ताव को सिरे से खारिज करते हुए गंभीर आपत्तियां दर्ज कराई हैं। परिषद का कहना है कि यह प्रस्ताव उपभोक्ताओं के हितों के विरुद्ध है और इससे आमजन पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा।
परिषद की आपत्तियों का केंद्र नोएडा पावर कंपनी (Noida Power Company) का मामला रहा, जिस पर परिषद ने बड़ा सवाल खड़ा किया है। परिषद ने स्पष्ट किया कि नोएडा पावर कंपनी (NPCL) पर उपभोक्ताओं का बकाया है, जिसके कारण पिछले तीन वर्षों से वहां की दरों में 10 प्रतिशत की कटौती की जा रही है। इसी तरह की व्यवस्था बाकी निजी बिजली कंपनियों पर क्यों नहीं लागू की जा रही है, यह एक बड़ा सवाल है।
नोएडा पावर कंपनी को मिली छूट पर उठे सवाल
परिषद ने आरोप लगाया है कि नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड पर बकाया होने के बावजूद उसे लगातार दरों में छूट मिल रही है, जबकि अन्य निजी बिजली कंपनियों को इस तरह का कोई लाभ नहीं दिया गया। तीन वर्षों से नोएडा क्षेत्र के उपभोक्ताओं को 10% तक सस्ती बिजली मिल रही है, लेकिन यह लाभ अन्य क्षेत्रों को नहीं मिल रहा। परिषद ने इसे अनुचित लाभ और असमान व्यवहार की संज्ञा दी है।
UPPCL के प्रस्ताव का व्यापक विरोध
इस विवाद की जड़ में UPPCL द्वारा प्रस्तावित 30% बिजली दर वृद्धि है, जिसे उपभोक्ताओं ने पूरी तरह अस्वीकार कर दिया है। इसके विपरीत उपभोक्ता परिषद और आम जनता ने 45% तक दरें घटाने का सुझाव दिया है। परिषद का कहना है कि वर्तमान में बिजली कंपनियां पहले से ही लाभ कमा रही हैं, और ऐसे में दरों को बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है।
जनहित को नजरअंदाज कर रहा है कॉरपोरेशन?
विशेषज्ञों का मानना है कि UPPCL के प्रस्ताव में जनहित की उपेक्षा की गई है। परिषद के अनुसार, मौजूदा बिजली कंपनियों को जो सब्सिडी मिल रही है और जो राजस्व वे कमा रही हैं, उस आधार पर दरों में बढ़ोतरी नहीं बल्कि कमी होनी चाहिए। इसके साथ ही परिषद ने यह भी सवाल उठाया कि जब कुछ क्षेत्रों में Renewable Energy और Green Energy से बिजली सस्ती हो रही है, तो आम जनता पर अतिरिक्त बोझ क्यों डाला जा रहा है?
पारदर्शिता की मांग
परिषद ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) से यह सुनिश्चित करने की मांग की है कि सभी बिजली कंपनियों के साथ समान व्यवहार किया जाए। नोएडा पावर कंपनी पर बकाया राशि की जांच कराई जाए और उसकी तरह अन्य कंपनियों को भी उसी तर्ज पर मूल्य कटौती का लाभ उपभोक्ताओं को दिया जाए।
इसके साथ ही परिषद ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि इस संशोधित प्रस्ताव को वापस नहीं लिया गया और उपभोक्ता हितों की अनदेखी की गई, तो वे राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे।
बिजली दरों पर चल रही बहस की पृष्ठभूमि
यूपी में पिछले कुछ महीनों से बिजली की दरों में बदलाव को लेकर काफी चर्चा चल रही है। UPPCL ने मार्च 2025 में पहली बार दरों में 25-30% तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया था, जिसका व्यापक विरोध हुआ। उसके बाद एक संशोधित प्रस्ताव लाकर कुछ बदलाव किए गए, लेकिन उसमें भी उपभोक्ताओं को कोई विशेष राहत नहीं मिली।
अब परिषद और जनता की ओर से एक समांतर प्रस्ताव सामने आया है, जिसमें दरों को 45% तक कम करने की बात कही गई है। यह प्रस्ताव मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों, महंगाई और आमजन की क्रयशक्ति को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।