
भारत में इलेक्ट्रिक स्कूटर की लोकप्रियता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, खासकर बढ़ते ईंधन मूल्यों और पर्यावरणीय चिंताओं के चलते। लेकिन अक्सर एक आम सवाल उठता है—क्या इलेक्ट्रिक स्कूटर के लिए Pollution Under Control (PUC) सर्टिफिकेट की ज़रूरत होती है? उत्तर है—नहीं। इलेक्ट्रिक वाहन-EV बैटरी से चलते हैं और इनमें किसी प्रकार का हानिकारक उत्सर्जन नहीं होता, इसलिए इन्हें PUC प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं होती।
PUC सर्टिफिकेट का मुख्य उद्देश्य वायुप्रदूषण की निगरानी और नियंत्रण है, जो परंपरागत पेट्रोल या डीज़ल इंजन वाले वाहनों से होने वाले उत्सर्जन पर आधारित होता है। चूंकि इलेक्ट्रिक स्कूटर पूरी तरह से उत्सर्जन मुक्त होते हैं, ये इस कानून के दायरे से बाहर हैं।
चालान से बचने के लिए कौन-कौन से दस्तावेज़ रखें साथ
हालांकि इलेक्ट्रिक स्कूटर के लिए PUC सर्टिफिकेट अनिवार्य नहीं है, लेकिन ट्रैफिक नियमों का पालन सुनिश्चित करने और संभावित चालान से बचने के लिए अन्य ज़रूरी दस्तावेज़ हमेशा साथ रखें:
सबसे पहले, वाहन का पंजीकरण प्रमाणपत्र (RC) हर समय स्कूटर में मौजूद होना चाहिए। इसके अलावा बीमा दस्तावेज़ और ड्राइविंग लाइसेंस भी आवश्यक हैं, यदि आपके स्कूटर की गति 25 किमी/घंटा से अधिक या मोटर पावर 250 वॉट से ज़्यादा है। साथ ही, हाई-सिक्योरिटी नंबर प्लेट (HSRP) भी अनिवार्य है।
यदि आपके पास लो-स्पीड इलेक्ट्रिक स्कूटर है जिसकी गति 25 किमी/घंटा से कम और मोटर पावर 250 वॉट से नीचे है, तो आपको ड्राइविंग लाइसेंस की ज़रूरत नहीं होती। फिर भी अन्य दस्तावेज़ों को साथ रखना ज़रूरी है, क्योंकि ट्रैफिक पुलिस इनकी जांच कर सकती है।
दिल्ली में इलेक्ट्रिक स्कूटर और PUC से जुड़े विशेष नियम
दिल्ली सरकार ने हाल ही में प्रदूषण नियंत्रण के लिए PUC प्रमाणपत्र की नई नीति लागू की है, जो मुख्यतः पारंपरिक ईंधन वाले वाहनों पर केंद्रित है। इस नीति का उद्देश्य बाहरी राज्यों से दिल्ली में आने वाले पेट्रोल और डीज़ल वाहनों की निगरानी करना है। लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों, विशेष रूप से इलेक्ट्रिक स्कूटर-Electric Scooters, पर यह नीति लागू नहीं होती क्योंकि इनसे कोई प्रदूषण नहीं होता।
इसका मतलब है कि दिल्ली में भी इलेक्ट्रिक स्कूटर को PUC प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है, फिर भी अन्य दस्तावेज़ों का अपडेटेड और वैध होना आवश्यक है ताकि किसी भी संभावित चालान या परेशानी से बचा जा सके।