
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनज़र टेरिटोरियल आर्मी-Territorial Army एक बार फिर चर्चा में है। रक्षा मंत्रालय के सैन्य मामलों के विभाग ने टेरिटोरियल आर्मी नियम 1948 के नियम 33 के तहत थलसेना प्रमुख को यह अधिकार दिया है कि वह टेरिटोरियल आर्मी के अधिकारियों और सैनिकों को सक्रिय सेवा (Embodiment) में बुला सकते हैं। इस कदम का उद्देश्य सेना की नियमित यूनिटों को समर्थन देना और जरूरत पड़ने पर बॉर्डर पर अतिरिक्त सुरक्षा बल उपलब्ध कराना है।
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क्या है टेरिटोरियल आर्मी?
टेरिटोरियल आर्मी, भारतीय सेना का एक ऐसा विशेष घटक है जो आम नागरिकों को सैन्य सेवा में भाग लेने का अवसर देता है, वो भी अपनी मौजूदा नौकरी या पेशे को जारी रखते हुए। यह एक वॉलंटियर सेवा है जिसमें व्यक्ति देश की सेवा कर सकता है, लेकिन यह पूर्णकालिक नौकरी नहीं होती। इसे ऐसे नागरिकों के लिए बनाया गया है जो सेना में योगदान देना चाहते हैं पर अपनी पेशेवर जिंदगी से भी जुड़े रहना चाहते हैं।
इसमें शामिल होने के लिए व्यक्ति की उम्र 18 से 42 साल के बीच होनी चाहिए, वह ग्रेजुएट हो और शारीरिक व मानसिक रूप से फिट होना चाहिए। साथ ही उसके पास अपनी आजीविका का जरिया होना अनिवार्य है।
टेरिटोरियल आर्मी की ड्यूटी क्या होती है?
टेरिटोरियल आर्मी की जिम्मेदारियां नियमित सेना की सहायता करने से जुड़ी होती हैं। मुख्य रूप से यह सेना को नियमित कर्तव्यों से मुक्त करने, प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, भूकंप, तूफान आदि के दौरान नागरिक प्रशासन की सहायता करने और आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने में सहयोग करती है। आवश्यकता पड़ने पर इसे सीमाओं की सुरक्षा के लिए भी सक्रिय सेवा में बुलाया जा सकता है।
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14 टेरिटोरियल बटालियन होंगी तैनात
हाल ही में रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, मौजूदा 32 टेरिटोरियल आर्मी इंफैंट्री बटालियनों में से 14 को देश के विभिन्न सैन्य कमानों में तैनात किया जाएगा। इनमें साउदर्न कमांड, ईस्टर्न कमांड, वेस्टर्न कमांड, सेंट्रल कमांड, नॉर्दर्न कमांड, साउथ-वेस्टर्न कमांड, अंडमान व निकोबार कमांड और आर्मी ट्रेनिंग कमांड (ARTRAC) शामिल हैं।
हालांकि इनकी तैनाती तभी होगी जब इसके लिए बजट में धन उपलब्ध होगा या आंतरिक बजट की बचत से इसे पुनः आवंटित किया जाएगा। यदि टेरिटोरियल आर्मी की यूनिट किसी अन्य मंत्रालय के अनुरोध पर तैनात की जाती है, तो उसकी लागत संबंधित मंत्रालय के बजट से कटेगी, न कि रक्षा मंत्रालय के बजट से।
टेरिटोरियल आर्मी में कौन-कौन है शामिल?
महेंद्र सिंह धोनी और सचिन पायलट जैसे नामचीन लोग भी टेरिटोरियल आर्मी का हिस्सा हैं। महेंद्र सिंह धोनी को 2011 में लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में टेरिटोरियल आर्मी से सम्मानित किया गया था। उन्होंने पैराशूट रेजीमेंट के साथ अपनी बेसिक ट्रेनिंग भी पूरी की और योग्य पैराट्रूपर बन गए।
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वहीं, सचिन पायलट 6 सितंबर 2012 को टेरिटोरियल आर्मी में कैप्टन के रूप में शामिल हुए। वह भारत के पहले केंद्रीय मंत्री बने जिन्हें इस आर्मी का हिस्सा बनने का गौरव प्राप्त हुआ। उनके पिता राजेश पायलट भी वायुसेना में सेवा दे चुके थे।
इसके अलावा, कपिल देव और अनुराग ठाकुर जैसे अन्य प्रसिद्ध लोग भी इस संगठन से जुड़े हुए हैं।
क्यों जरूरी है टेरिटोरियल आर्मी?
आज के समय में जब देश को अनेक मोर्चों पर सुरक्षा की आवश्यकता है, टेरिटोरियल आर्मी एक ऐसा माध्यम बनकर उभरती है जो आम नागरिकों को देश की सेवा में सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर देती है। साथ ही यह सेना के लिए एक वैकल्पिक और विश्वसनीय बल के रूप में काम करती है, जो किसी भी आपात स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया देने में सक्षम है।
वर्तमान में भारत की सुरक्षा स्थिति को देखते हुए टेरिटोरियल आर्मी की भूमिका पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। यह न केवल देश की सीमाओं की रक्षा करती है, बल्कि आंतरिक सुरक्षा, आपदा प्रबंधन और प्रशासनिक सहयोग में भी अहम योगदान देती है।