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High Court Verdict: पत्नी को पति की सारी संपत्ति नहीं मिलेगी! कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में बताया कि पति की वसीयत से पत्नी को क्या हक मिलता है और क्या नहीं। क्या वह संपत्ति बेच सकती है? क्या बच्चों का भी उस पर हक होता है? पूरी सच्चाई जानें, नहीं तो हो सकती है भारी गलती

By PMS News
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High Court Verdict: पत्नी को पति की सारी संपत्ति नहीं मिलेगी! कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
High Court Verdict: पत्नी को पति की सारी संपत्ति नहीं मिलेगी! कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि पति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति पर पत्नी का अधिकार तो होता है, लेकिन वह पूर्ण स्वामित्व (Full Ownership) का दावा नहीं कर सकती, खासकर जब वह खुद कमाई नहीं कर रही हो। कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति में पत्नी संपत्ति का उपभोग तो कर सकती है, लेकिन उस पर पूरा मालिकाना हक नहीं रखती। यह फैसला देश में तेजी से बढ़ते संपत्ति विवाद (Property Disputes) के मामलों को एक दिशा देने वाला माना जा रहा है।

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क्यों बढ़ रहे हैं संपत्ति विवाद?

वर्तमान समय में परिवारिक संपत्ति (Family Property) को लेकर विवाद काफी आम हो गए हैं। भाई-बहन, माता-पिता और बच्चों के बीच आए दिन बंटवारे को लेकर मुकदमेबाजी देखी जाती है। इसका मुख्य कारण यह है कि अधिकांश लोग संपत्ति में अपने कानूनी अधिकार (Legal Rights) को लेकर जागरूक नहीं होते। विशेष रूप से पति की मृत्यु के बाद पत्नी और बच्चों के बीच संपत्ति को लेकर मतभेद उत्पन्न हो जाते हैं।

मामला क्या था?

यह विवाद दिल्ली के एक परिवार से जुड़ा है, जिसमें चार भाई-बहन (तीन बेटे और एक बेटी) ने संपत्ति के बंटवारे को लेकर अपने अन्य भाई-बहनों और एक पोती के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। उनका तर्क था कि पिता ने वसीयत (Will) में सारी संपत्ति अपनी पत्नी के नाम कर दी थी, जिससे उनका अधिकार सीमित हो गया। ट्रायल कोर्ट ने इस वसीयत को सही मानते हुए संपत्ति के अधिकार को सीमित मानते हुए तीन अन्य उत्तराधिकारियों के पक्ष में फैसला सुनाया।

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वसीयत में क्या लिखा था?

जनवरी 1989 की वसीयत में पति ने अपनी पूरी संपत्ति अपनी पत्नी के नाम कर दी थी, लेकिन यह अधिकार सीमित था:

  • पत्नी को संपत्ति से किराया वसूलने और उपयोग करने का अधिकार दिया गया था,
  • परंतु वह संपत्ति को बेच नहीं सकती थी,
  • पत्नी की मृत्यु के बाद संपत्ति चार बेटों को छोड़कर अन्य उत्तराधिकारियों में बांटी जानी थी।
    2012 में पत्नी की मृत्यु होने के बाद वसीयत के प्रावधान लागू हो गए।

हाई कोर्ट ने क्या कहा?

जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह की अध्यक्षता वाली बेंच ने साफ कहा कि वसीयत में महिला को केवल संपत्ति का उपभोग करने का अधिकार दिया गया था, न कि उसे बेचने या ट्रांसफर करने का। कोर्ट ने कहा कि पत्नी को यह अधिकार केवल वसीयत के कारण मिला, न कि उसकी कोई स्वतंत्र संपत्ति थी। इसलिए पत्नी को आजीवन संपत्ति का आनंद लेने का अधिकार तो है, लेकिन यह अधिकार पूर्ण स्वामित्व में नहीं आता।

पति की संपत्ति पर पत्नी के अधिकार – कानूनी आधार

  • यदि पति बिना वसीयत के मरता है, तो उसकी संपत्ति में पत्नी को बराबर का हिस्सा मिलता है।
  • यदि वसीयत में केवल उपयोग का अधिकार है, तो पत्नी संपत्ति का स्वामी नहीं बनती
  • पति के जीवित रहते उसकी स्व-अर्जित संपत्ति (Self-acquired Property) पर पत्नी का कोई कानूनी अधिकार नहीं होता।
  • अगर पति और पत्नी अलग रहते हैं, तो पत्नी को गुजारा भत्ता (Alimony) और रहने की व्यवस्था का अधिकार होता है।
  • पत्नी के पास रहने का कोई स्थान न हो तो वह पति के घर में रहने का अधिकार रखती है।

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स्त्रीधन पर महिला का अधिकार

विवाह के समय मिले गहने, उपहार, नकदी आदि को स्त्रीधन (Stridhan) कहा जाता है। यह महिला की व्यक्तिगत संपत्ति होती है और उस पर उसका पूर्ण स्वामित्व होता है। अगर किसी महिला को उसके स्त्रीधन से वंचित किया जाता है, तो यह घरेलू हिंसा (Domestic Violence) की श्रेणी में आता है।

पति की संपत्ति पर अन्य का अधिकार

अगर पति की मृत्यु वसीयत के बिना होती है, तो संपत्ति उसकी पत्नी, बच्चों और माता-पिता के बीच बराबर बंटती है। यदि वसीयत है, तो संपत्ति उसी अनुसार बंटेगी। यह भी महत्वपूर्ण है कि पति की पैतृक संपत्ति पर पत्नी का अधिकार तब तक नहीं होता जब तक पति जीवित है; यह अधिकार केवल पुत्र और पुत्रियों को होता है।

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