
Note Printing Cost यानी नोट छापने पर आने वाला खर्चा लगातार बढ़ता जा रहा है। रिजर्व बैंक (RBI) की ताजा सालाना रिपोर्ट के अनुसार, वित्तवर्ष 2024-25 में बैंक नोट छापने का कुल खर्च 25 फीसदी की छलांग लगाकर 6,372.8 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष 2023-24 में 5,101.4 करोड़ रुपये था। बढ़ती लागत के पीछे एक अहम वजह बैंक नोट के लिए इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि और सुरक्षा फीचर्स को लगातार उन्नत बनाना है।
RBI ने तीन मूल्यवर्ग के नोटों की छपाई की बंद
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 2 रुपये, 5 रुपये और 2000 रुपये के नोटों की छपाई पूरी तरह बंद कर दी है। हालांकि, ये नोट अभी भी प्रचलन में हैं, लेकिन अब नए नोट नहीं छापे जा रहे। मई 2023 में आरबीआई ने 2000 रुपये के नोट को प्रचलन से धीरे-धीरे वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की थी। रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च 2025 तक 98.2 फीसदी 2000 रुपये के नोट बैंकिंग सिस्टम में लौट चुके हैं।
500 रुपये के नोटों का दबदबा जारी
RBI की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024-25 में प्रचलन में मौजूद कुल बैंक नोटों में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी 500 रुपये मूल्यवर्ग के नोटों की रही। मूल्य के हिसाब से इनकी हिस्सेदारी 86 फीसदी रही, जबकि मात्रा के अनुसार यह हिस्सेदारी 40.9 फीसदी रही। इसके बाद 10 रुपये के नोटों की हिस्सेदारी 16.4 फीसदी रही। वहीं 10, 20 और 50 रुपये के नोटों को मिलाकर कम मूल्यवर्ग के नोटों की कुल हिस्सेदारी 31.7 फीसदी रही।
सिक्कों की मांग और प्रचलन में वृद्धि
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान सिक्कों के मूल्य और मात्रा में क्रमशः 9.6 फीसदी और 3.6 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इससे साफ संकेत मिलता है कि बाजार में सिक्कों की मांग बढ़ी है और लोग अब छोटी राशि के लेन-देन के लिए सिक्कों का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। वर्तमान में प्रचलन में मौजूद सिक्कों में 50 पैसे, 1 रुपये, 2 रुपये, 5 रुपये, 10 रुपये और 20 रुपये के सिक्के शामिल हैं।
ई-रुपी (e-RUPI) के प्रचलन में बंपर बढ़ोतरी
डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए RBI द्वारा शुरू किया गया ई-रुपी (e-RUPI) अब प्रचलन में तेजी से अपनी पकड़ बना रहा है। 2024-25 में ई-रुपी का प्रचलन मूल्य 334 फीसदी तक बढ़ गया है, जो डिजिटल फाइनेंस की ओर लोगों का बढ़ता झुकाव दर्शाता है। यह केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) के जरिए की जाने वाली सुविधाजनक और सुरक्षित ट्रांजैक्शन प्रणाली का हिस्सा है।
जाली नोटों के मामले में 500 और 200 के नोटों में इजाफा
रिपोर्ट में फेक इंडियन करंसी नोट्स (FICN) यानी जाली नोटों को लेकर भी अहम जानकारी दी गई है। 2024-25 के दौरान कुल पकड़े गए जाली नोटों में से 4.7 फीसदी नोट रिजर्व बैंक के जरिए जब्त किए गए। 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये और 2000 रुपये के जाली नोटों में गिरावट देखी गई, जबकि 200 रुपये के नोटों में 13.9 फीसदी और 500 रुपये के जाली नोटों में 37.3 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। यह दिखाता है कि बड़े मूल्यवर्ग के नोटों को जालसाज ज्यादा टारगेट कर रहे हैं।
नोट छापना क्यों हुआ महंगा?
नोट छापने की लागत में वृद्धि के पीछे मुख्य कारण है—बैंक नोटों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी और सुरक्षा तकनीकों का उन्नयन। RBI अब बैंक नोट कागज, सभी प्रकार की स्याही (ऑफसेट, नंबरिंग, इंटैग्लियो और रंग बदलने वाली इंटैग्लियो स्याही) और सुरक्षा संबंधी अन्य सभी आवश्यक सामग्री को भारत में ही खरीद रहा है। पहले यह सामग्री काफी हद तक विदेशी स्रोतों से मंगाई जाती थी। स्वदेशीकरण की इस प्रक्रिया में गुणवत्ता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए खर्च बढ़ गया है।
RBI का फोकस सुरक्षा और स्वदेशीकरण
रिजर्व बैंक बैंक नोटों की सुरक्षा को लेकर गंभीर है और लगातार नई सुरक्षा विशेषताओं को अपनाने की दिशा में काम कर रहा है। इसके साथ ही, विदेशी निर्भरता को खत्म करने और स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में उठाए गए कदमों का भी असर नोट छापने की लागत पर पड़ा है। हालांकि, यह प्रयास भविष्य में देश को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा।