
CUET UG 2025 परीक्षा 13 मई को आयोजित की जा रही है और इस साल 13 लाख से भी अधिक छात्रों ने इसके लिए अप्लाई किया है। CUET UG परीक्षा यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएशन कोर्स में एडमिशन के लिए एक कॉमन प्लेटफॉर्म बन गई है। 47 Central University, 26 State University, 7 Government Institutions, 22 Deemed University और 102 Private University इस परीक्षा के आधार पर एडमिशन देती हैं। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि क्या सिर्फ CUET UG स्कोर ही एडमिशन के लिए पर्याप्त है या 12वीं के मार्क्स भी मायने रखते हैं?
CUET UG का स्कोर मुख्य आधार है, लेकिन क्या यह अकेला पैमाना है?
CUET UG स्कोर को अधिकांश यूनिवर्सिटी एडमिशन के लिए प्राथमिक मानदंड के रूप में स्वीकार करती हैं। लेकिन कुछ स्थितियों और कोर्सेज में कक्षा 12वीं के नंबर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसमें दो खास पॉइंट्स हैं जिन्हें समझना बेहद जरूरी है: Eligibility Criteria और Tie-Breaker Policy।
Eligibility Criteria में 12वीं के नंबर की भूमिका
कई यूनिवर्सिटी और कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए न्यूनतम क्वालिफाइंग परसेंटेज अनिवार्य होता है। उदाहरण के तौर पर, कुछ कोर्सेज में न्यूनतम 50% या 60% अंक होना जरूरी है। यानी यदि आपने CUET UG में अच्छा स्कोर किया है, लेकिन 12वीं में जरूरी प्रतिशत नहीं है, तो आपको एडमिशन नहीं मिलेगा। यह खासकर प्रोफेशनल कोर्सेज जैसे BBA, BCA, BEd आदि में देखने को मिलता है।
Tie-Breaker में काम आते हैं 12वीं के मार्क्स
CUET UG परीक्षा में कभी-कभी दो या उससे अधिक छात्रों के समान स्कोर आ जाते हैं। ऐसे में यूनिवर्सिटी की Tie-Breaker Policy लागू होती है, जहां 12वीं (और कभी-कभी 10वीं) के नंबरों को प्राथमिकता दी जाती है। यह नीतिगत स्थिति बहुत कम मामलों में आती है, लेकिन तब 12वीं के अच्छे अंक फायदे में डाल सकते हैं।
किन यूनिवर्सिटीज़ में 12वीं के मार्क्स की जरूरत होती है?
ज्यादातर Central Universities जैसे Delhi University (DU), Jawaharlal Nehru University (JNU), Banaras Hindu University (BHU) और Jamia Millia Islamia (JMI) में सिर्फ CUET UG स्कोर के आधार पर ही एडमिशन होता है। लेकिन कुछ State Universities और Deemed Universities अभी भी 12वीं के परसेंटेज को एडमिशन की पात्रता में शामिल करती हैं। विशेष रूप से वे कोर्सेज जो तकनीकी या प्रोफेशनल स्किल्स पर आधारित हैं, उनमें यह मानदंड सख्त हो सकता है।