उत्तराखंड सरकार ने राज्य के भूमि कानून में अहम बदलावों की घोषणा की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य के मूल स्वरूप को बचाने के लिए अब बाहरी लोगों के लिए राज्य में भूमि खरीदना पहले से ज्यादा कठिन हो जाएगा। नए भू कानून के तहत, जिन लोगों ने गलत तरीके से जमीन खरीदी है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और ऐसी भूमि सरकार के पास लौटाई जाएगी।
भू कानून में बदलाव के बाद की स्थिति
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि राज्य में भूमि खरीदने के लिए एक नया ढांचा लागू किया जा रहा है। इसके अनुसार, उत्तराखंड के बाहर के लोग केवल नगर निकाय सीमा से बाहर 250 वर्ग मीटर तक की जमीन खरीद सकते हैं। हालांकि, यह देखा गया है कि कई बाहरी लोग इस कानून का उल्लंघन कर चुके हैं और एक परिवार से एक से ज्यादा लोग जमीन खरीद चुके हैं, जो कि कानून के खिलाफ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार अब ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगी और उनकी जमीनें सरकार में निहित कर दी जाएंगी।
मुख्यमंत्री की स्पष्ट चेतावनी
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य के मूल स्वरूप को बनाए रखने के लिए बाहरी लोगों को राज्य में जमीन खरीदने की प्रक्रिया को सख्त किया जाएगा। यदि किसी परिवार से एक से अधिक लोग 250 वर्ग मीटर से अधिक जमीन खरीदते हैं, तो उन्हें राज्य सरकार द्वारा वापस लिया जाएगा। मुख्यमंत्री धामी ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य में निवेश करने के इच्छुक लोगों को किसी तरह की समस्या नहीं होने दी जाएगी, लेकिन राज्य की जमीनों का गलत तरीके से अधिग्रहण करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
भू माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य में भू माफिया की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। सरकार ने ऐसे मामलों में जांच शुरू कर दी है, जिनमें जमीन खरीदने के लिए नियमों का उल्लंघन किया गया है। इसके अलावा, राजस्व विभाग और प्रशासन मिलकर इस प्रक्रिया में बड़ी कार्रवाई करेंगे, जिससे राज्य के पास लैंड बैंक बन सकेगा।
सरकार का उद्देश्य
सरकार का यह कदम राज्य की भूमि के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए है। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि भूमि माफिया और नियमों का उल्लंघन करने वाले बाहरी लोग राज्य की मूल पहचान को खतरे में डाल रहे थे, और अब सरकार उनकी गतिविधियों को रोकने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
इस नए भू कानून का उद्देश्य केवल बाहरी लोगों से जमीन की गलत तरीके से खरीदारी पर अंकुश लगाना नहीं है, बल्कि राज्य में निवेश करने वाले वास्तविक निवेशकों को सुरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाना है।