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Chanakya Niti: जिंदगी में सफल होने के लिए इनको छोड़ना बेहतर, आचार्य चाणक्य ने बताया

चाणक्य नीति में जीवन की गहन सच्चाइयों और व्यवहारिक अनुभवों का समावेश है। इस नीति में दिए गए परामर्श और सिद्धांतों का पालन करके व्यक्ति अपने जीवन को नई दिशा दे सकता है।

By PMS News
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Chanakya Niti: जिंदगी में सफल होने के लिए इनको छोड़ना बेहतर, आचार्य चाणक्य ने बताया
Chanakya Niti

चाणक्य नीति (Chanakya Niti) को भारतीय दर्शन और नीतिशास्त्र का अद्वितीय ग्रंथ माना जाता है। आचार्य चाणक्य, जिन्हें कुशल अर्थशास्त्री और रणनीतिकार के रूप में जाना जाता है, ने इस ग्रंथ में जीवन को सफल और समृद्ध बनाने के लिए गहन सुझाव दिए हैं। उन्होंने यह स्पष्ट रूप से कहा है कि कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जो यदि जीवन में बनी रहें, तो हानि ही पहुंचाती हैं। चाणक्य नीति के अध्याय 4 में ऐसी बातों का उल्लेख किया गया है, जिन्हें त्यागने से व्यक्ति के जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।

अज्ञानी गुरु का त्याग क्यों है अनिवार्य

आचार्य चाणक्य ने गुरु (Teacher) के महत्व पर बल दिया है। उनका कहना है कि जिस गुरु के पास विद्या और ज्ञान नहीं है, वह अपने शिष्य के लिए किसी काम का नहीं। ऐसे गुरु का त्याग करना चाहिए, क्योंकि ज्ञान का अभाव केवल अंधकार की ओर ले जाता है। जीवन में प्रगति और आत्मनिर्भरता के लिए एक योग्य गुरु का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण है।

क्रोधी पत्नी से दूरी क्यों है आवश्यक

चाणक्य नीति में बताया गया है कि गुस्सैल स्वभाव की पत्नी (Angry Wife) पति को कभी भी मानसिक शांति और सुख नहीं दे सकती। ऐसी स्त्री का स्वभाव केवल गृहस्थ जीवन में कलह और बाधाएं उत्पन्न करता है। इसलिए चाणक्य सलाह देते हैं कि ऐसी परिस्थिति में पति को ठोस निर्णय लेकर अपने जीवन को सहज बनाने का प्रयास करना चाहिए।

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स्वार्थी रिश्तेदारों से बचाव

बंधु-बांधव और रिश्तेदार (Relatives) हमारे जीवन में सहारा और सहयोग के प्रतीक होते हैं। परंतु, चाणक्य के अनुसार, ऐसे संबंध जो प्रेम और स्नेह से शून्य हों, केवल बोझ बन जाते हैं। ऐसे रिश्तों को त्यागने से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि जीवन में प्रगति के नए अवसर भी खुलते हैं।

दया और ममता रहित धर्म का परित्याग

धर्म (Religion) का आधार दया, ममता, और प्रेम है। चाणक्य नीति के अनुसार, यदि किसी धर्म में इन मूल्यों का अभाव हो, तो उसे अपनाने से जीवन में केवल कठोरता और अशांति आएगी। ऐसे धर्म का त्याग करके ही व्यक्ति आध्यात्मिक और मानसिक रूप से समृद्ध हो सकता है।

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