
केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना CGHS (Central Government Health Scheme) से जुड़े लाभार्थियों के लिए राहत की बड़ी खबर सामने आई है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने CGHS के नियमों में अहम बदलाव किया है, जिससे लाखों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को बड़ी सहूलियत मिलेगी। अब मरीज ओपीडी (OPD) की दवाएं नॉन-अवेलेबिलिटी सर्टिफिकेट (NAC) के बिना भी रिटेल दुकानों से खरीद सकेंगे और इसका रिंबर्समेंट क्लेम भी आसानी से प्राप्त कर सकेंगे। यह फैसला CGHS के तहत दवा आपूर्ति को लेकर आ रही दिक्कतों और मरीजों की शिकायतों को देखते हुए लिया गया है।
अब नहीं लेना होगा नॉन-अवेलेबिलिटी सर्टिफिकेट
अब तक CGHS डिस्पेंसरी से ओपीडी की दवाएं न मिलने पर मरीजों को “नॉन-अवेलेबिलिटी सर्टिफिकेट” लेना पड़ता था, जो इस प्रक्रिया को लंबा और जटिल बना देता था। कई बार मरीजों को समय पर दवाएं नहीं मिल पाती थीं या फिर रिंबर्समेंट क्लेम करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब नए आदेश के अनुसार, मरीज सीधे किसी भी रजिस्टर्ड मेडिकल स्टोर से दवाएं खरीद सकते हैं और उनका खर्च CGHS द्वारा रिइम्बर्स किया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ किया है कि यह सुविधा फिलहाल ओपीडी की दवाओं के लिए ही लागू होगी। अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए निर्धारित दवाओं या इलाज पर यह नियम लागू नहीं होगा।
रिंबर्समेंट प्रक्रिया होगी और आसान
मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन में यह भी बताया गया है कि अब रिंबर्समेंट के लिए कम कागजी कार्रवाई की आवश्यकता होगी। मरीजों को केवल रजिस्टर्ड मेडिकल स्टोर से बिल लेना होगा, जिसमें दवा का नाम, मात्रा, मूल्य और तारीख स्पष्ट रूप से अंकित हो। इसके अलावा डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन और मरीज का पहचान पत्र भी रिंबर्समेंट के समय देना होगा।
CGHS के नए नियमों के अनुसार, मरीज को रिंबर्समेंट क्लेम ऑनलाइन पोर्टल या संबंधित CGHS वेलनेस सेंटर में जमा करना होगा। यह कदम सरकार की डिजिटल हेल्थकेयर सेवाओं को बढ़ावा देने की दिशा में भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
मरीजों को क्या होगा सीधा फायदा?
इस बदलाव से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि मरीजों को दवाएं समय पर मिल सकेंगी। पहले नॉन-अवेलेबिलिटी सर्टिफिकेट के कारण कई मरीज घंटों लाइन में खड़े रहते थे और बाद में दवा न मिलने की स्थिति में वापस लौट जाते थे। अब उन्हें किसी अतिरिक्त दस्तावेज़ या प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं होगी।
इससे खासतौर पर वरिष्ठ नागरिकों और पेंशनभोगियों को राहत मिलेगी, जिन्हें बार-बार CGHS केंद्रों के चक्कर लगाने पड़ते थे। साथ ही, इससे CGHS डिस्पेंसरीज़ पर दबाव भी कम होगा, क्योंकि कई मरीज अब सीधे बाजार से दवा खरीद लेंगे।
CGHS सिस्टम में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम
सरकार की यह पहल CGHS प्रणाली को और अधिक पारदर्शी और मरीजों के अनुकूल बनाने की दिशा में मानी जा रही है। CGHS से जुड़े कई पेंशनर्स और कर्मचारी लंबे समय से इस बदलाव की मांग कर रहे थे। इसके अतिरिक्त, डिजिटलाइजेशन के इस युग में यह कदम सरकार के डिजिटल हेल्थ मिशन को भी मजबूती देगा।
सरकार की यह योजना देश भर के 70 से अधिक शहरों में लागू है और इसमें लाखों कर्मचारी, पेंशनर्स और उनके परिवार लाभान्वित होते हैं। रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy), इलेक्ट्रिक मोबिलिटी (Electric Mobility), और डिजिटल इंडिया (Digital India) जैसी योजनाओं की तरह, यह स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकार की एक दूरदर्शी पहल के रूप में देखी जा रही है।
CGHS लाभार्थियों को सलाह
स्वास्थ्य मंत्रालय ने CGHS लाभार्थियों को सलाह दी है कि दवाएं खरीदते समय वे केवल रजिस्टर्ड मेडिकल स्टोर से ही दवा लें और बिल में सभी विवरण सुनिश्चित करें। साथ ही, डॉक्टर की ताज़ा सलाह और प्रिस्क्रिप्शन की प्रति अपने पास रखें ताकि रिंबर्समेंट प्रक्रिया में कोई अड़चन न आए। CGHS पोर्टल पर इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जल्द ही अपडेट कर दिए जाएंगे।
हेल्थ सेक्टर में डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा
CGHS के इस बदलाव को हेल्थ सेक्टर में डिजिटलाइजेशन और सुगमता की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। सरकार पहले से ही टेलीमेडिसिन, ई-संजीवनी और अन्य डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा दे रही है। इस नियम परिवर्तन से स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में लचीलापन आएगा और मरीजों को बेहतर सेवा मिल सकेगी।
नीतिगत बदलाव का व्यापक असर
इस तरह के बदलाव का असर न केवल CGHS लाभार्थियों पर पड़ेगा बल्कि समग्र स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली पर भी पड़ेगा। इससे सरकारी संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा और दवाओं की उपलब्धता में पारदर्शिता आएगी। इसके अलावा निजी दवा विक्रेताओं को भी एक नियमित ग्राहक वर्ग मिलेगा, जिससे बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और मरीजों को बेहतर विकल्प मिलेंगे।