हाल के समय में कई कोचिंग संस्थान अपनी मार्केटिंग में छात्रों और अभिभावकों को गुमराह करने के लिए झूठे दावे कर रहे हैं। इनमें से कुछ संस्थान अपने विज्ञापनों में फर्जी सफलता दर, पाठ्यक्रम की अधूरी जानकारी और फीस संबंधी पारदर्शिता की कमी को बढ़ावा देते हैं। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने इस प्रवृत्ति पर सख्त कदम उठाते हुए, कोचिंग संस्थानों के भ्रामक विज्ञापनों को नियंत्रित करने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
इन गाइडलाइंस का उद्देश्य है कि कोचिंग संस्थान अपने विज्ञापनों में पारदर्शिता बरतें और छात्रों तथा अभिभावकों को भ्रामक जानकारी न दें।
CCPA की गाइडलाइंस
CCPA द्वारा जारी की गई इन गाइडलाइंस में यह सुनिश्चित किया गया है कि कोई भी कोचिंग संस्थान छात्रों को गुमराह करने वाली जानकारी न फैलाए। गाइडलाइंस के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
1. विज्ञापनों में पारदर्शिता और स्पष्टता
- कोचिंग संस्थानों को अपने विज्ञापनों में किए गए सभी दावों, जैसे पाठ्यक्रम की अवधि, फीस, और सफलता दर को पूरी पारदर्शिता के साथ प्रस्तुत करना होगा। किसी भी प्रकार की अधूरी या झूठी जानकारी को छात्रों और अभिभावकों तक पहुंचाना अब अपराध की श्रेणी में आएगा।
- उदाहरण: यदि कोई कोचिंग सेंटर यह दावा करता है कि उनके संस्थान में 90% सफलता दर है, तो उन्हें इसके प्रमाण भी प्रस्तुत करने होंगे।
2. फर्जी क्लेम्स पर रोक
- CCPA ने कोर्स से जुड़े कुछ विशेष प्रकार के दावों पर भी रोक लगाई है। इनमें पाठ्यक्रम की गलत समयावधि, फ्री इंटरव्यू गाइडेंस प्रोग्राम, कोर्स छोड़ने के नियम और शर्तें, और अलग-अलग परीक्षाओं के लिए अस्पष्ट या भ्रामक दावे शामिल हैं।
- False अर्जेंसी: कई कोचिंग संस्थान यह कहकर छात्रों को आकर्षित करने का प्रयास करते हैं कि सीटें भरने वाली हैं, जबकि ऐसा नहीं होता। इस प्रकार के False अर्जेंसी वाले विज्ञापन भी अब अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस माने जाएंगे।
3. सफल छात्रों के फोटो और डेटा का उपयोग
- यदि कोचिंग संस्थान अपने विज्ञापनों में सफल छात्रों के फोटो और व्यक्तिगत डेटा का उपयोग करते हैं, तो उन्हें इसके लिए छात्रों से लिखित अनुमति लेनी होगी। बिना सहमति के किसी भी छात्र के फोटो या अन्य जानकारी का इस्तेमाल करना अब कानूनी दायरे में गलत माना जाएगा।
- महत्व: इस दिशा-निर्देश का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी छात्र का व्यक्तिगत डेटा उसका सहमति के बिना न उपयोग हो और छात्रों की गोपनीयता का सम्मान हो।
4. स्पष्ट डिस्क्लेमर का होना अनिवार्य
- CCPA के अनुसार, सभी विज्ञापनों में पहले स्लाइड पर ही स्पष्ट रूप से डिस्क्लेमर दिखाना अनिवार्य होगा। डिस्क्लेमर का उद्देश्य यह है कि छात्रों और अभिभावकों को सही जानकारी प्राप्त हो सके और किसी प्रकार का भ्रम न हो।
5. सेफ्टी और इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी जानकारी
- CCPA के नियमों के अनुसार, कोचिंग संस्थानों को अपनी विज्ञापनों में अपने संस्थान की क्षमता, सुरक्षा उपाय, और आपातकालीन एग्जिट की जानकारी भी देनी होगी।
- इसमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि संस्थान के पास सभी आवश्यक स्थानीय अनुमतियां और लाइसेंस हों। संस्थानों को छात्रों के लिए एक सुरक्षित और सुविधाजनक माहौल प्रदान करना चाहिए।
6. कंज्यूमर शिकायत समाधान प्रणाली का होना अनिवार्य
- कोचिंग संस्थानों को एक ऐसा प्रणाली बनानी होगी जो उपभोक्ता शिकायतों का त्वरित समाधान दे सके। इसका उद्देश्य यह है कि अगर किसी छात्र या अभिभावक को कोचिंग संस्थान के खिलाफ कोई शिकायत होती है, तो उसे उचित समाधान मिल सके।
नियमों का उल्लंघन करने पर संभावित कार्रवाई
CCPA ने कोचिंग संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई के कुछ विशेष प्रावधान भी रखे हैं, जो निम्नलिखित हैं:
- ₹1 लाख तक का जुर्माना: यदि कोई कोचिंग संस्थान पहली बार नियमों का उल्लंघन करता है, तो उस पर ₹1 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
- लगातार उल्लंघन पर ₹50 लाख तक का जुर्माना: यदि कोई संस्थान बार-बार नियमों का उल्लंघन करता है, तो उस पर अधिकतम ₹50 लाख का जुर्माना लगाया जा सकता है।
- लाइसेंस रद्द: नियमों की बार-बार अनदेखी करने पर CCPA संस्थान का लाइसेंस रद्द कर सकता है।
नए सुरक्षा नियम
दिल्ली में हाल ही में हुई कुछ घटनाओं के कारण, छात्रों की सुरक्षा को लेकर CCPA ने कुछ विशेष नियम बनाए हैं। इसके तहत:
- कोचिंग संस्थानों को आपातकालीन एग्जिट प्लान और आवश्यक सुरक्षा उपायों के बारे में छात्रों को सूचित करना होगा।
- प्रत्येक दावे के लिए साक्ष्य रखना अनिवार्य होगा, ताकि किसी भी झूठे दावे पर रोक लगाई जा सके।
- छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह नियम भी शामिल किया गया है कि विज्ञापनों में स्पष्ट गाइडलाइंस का पालन किया जाए।