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आपकी प्राइवेट कार कब्जे में ले सकता है प्रशासन? जानिये कब और क्यूँ, क्या है नियम

लोकसभा चुनाव में प्राइवेट गाड़ियों का अधिग्रहण कानूनी है। जानिए, कैसे प्रशासन गाड़ियों को चुनाव ड्यूटी के लिए ले सकता है, क्या हैं नियम और गाड़ी मालिकों को क्या लाभ मिलेगा। पढ़ें पूरी जानकारी और अपने अधिकारों को समझें।

By PMS News
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आपकी प्राइवेट कार कब्जे में ले सकता है प्रशासन? जानिये कब और क्यूँ, क्या है नियम
प्राइवेट कार

लोकसभा चुनाव का पहला चरण 19 अप्रैल से शुरू होगा और चुनाव आयोग ने चुनाव को पारदर्शी और व्यवस्थित तरीके से संपन्न करवाने के लिए पूरी तैयारी शुरू कर दी है। चुनाव प्रक्रिया के तहत हर राज्य और जिले में चुनाव संबंधित विभिन्न व्यवस्थाएं की जा रही हैं। इस दौरान, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा एक नोटिस जारी किया गया है, जिसमें प्राइवेट कार मालिकों से चुनाव ड्यूटी के लिए अपनी गाड़ियों को पुलिस लाइन में जमा करने का अनुरोध किया गया है।

नोटिस में क्या कहा गया है?

जिला निर्वाचन अधिकारी की तरफ से जारी नोटिस में यह बताया गया है कि गाड़ी मालिकों को अपनी गाड़ी 23 अप्रैल को सुबह 10 बजे तक रिजर्व पुलिस लाइन में प्रभारी निर्वाचन अधिकारी (यातायात) को सौंपनी होगी। इसके साथ ही, नोटिस में यह भी कहा गया है कि वाहन मालिक अपनी गाड़ी को अच्छे हालात में रखेंगे और यदि गाड़ी को कोई नुकसान होता है, तो जिला निर्वाचन अधिकारी को इसकी सूचना देनी होगी। इसके अतिरिक्त, गाड़ी के ऊपर तिरपाल जैसी व्यवस्था भी मालिक को करनी होगी।

प्रशासन का प्राइवेट गाड़ी अधिग्रहण क्या कानूनी है?

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 160 के तहत, चुनाव के दौरान चुनावी कार्यों के लिए परिसर और वाहन की मांग की जा सकती है। धारा 160 की उपधारा 1 के खंड ख में कहा गया है कि यदि किसी मतदान केंद्र तक या वहां से मतपेटियों के परिवहन, पुलिस बल के परिवहन या चुनावी कार्यों के संचालन के लिए वाहनों की आवश्यकता होती है, तो सरकार संबंधित व्यक्ति से लिखित आदेश के माध्यम से वाहन की मांग कर सकती है।

किसकी गाड़ी नहीं ले सकता प्रशासन?

हालांकि, धारा 160 की उपधारा 1 में यह भी स्पष्ट किया गया है कि प्रशासन कुछ परिस्थितियों में किसी गाड़ी का अधिग्रहण नहीं कर सकता। उदाहरण के लिए, यदि गाड़ी का उपयोग किसी उम्मीदवार या उसके एजेंट द्वारा चुनावी कार्यों के लिए किया जा रहा है, तो प्रशासन उसकी गाड़ी को नहीं ले सकता। इसके अलावा, धारा 160 की उपधारा 2 में कहा गया है कि प्रशासन गाड़ी के अधिग्रहण के लिए मालिक को एक लिखित आदेश देगा, जिसे निर्धारित तरीके से पालन करना होगा।

पूर्व CEC का बयान

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी के अनुसार, चुनावी कार्यों के लिए सरकार और प्रशासन दोनों प्रकार की गाड़ियों को अधिग्रहित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान गाड़ियों की आवश्यकता बहुत अधिक होती है और सरकार के पास इतनी गाड़ियों का प्रबंध नहीं हो सकता। इसलिए, प्राइवेट गाड़ियों को भी अपने कब्जे में लिया जाता है। वह यह भी कहते हैं कि प्रशासन का उद्देश्य यह होता है कि यदि किसी व्यक्ति के पास केवल एक गाड़ी है, तो उसका अधिग्रहण न किया जाए।

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किस प्रकार की गाड़ियों की मांग की गई है?

गाजियाबाद के अपर जिलाधिकारी (नगर) गंभीर सिंह ने बताया कि उन गाड़ी मालिकों से चुनाव के लिए गाड़ियां मांगी जा रही हैं जिनके पास बड़ी गाड़ियां हैं, जैसे इनोवा, अर्टिगा, स्कॉर्पियो आदि। गाड़ी मालिकों को 23 अप्रैल को अपनी गाड़ी सौंपनी होगी और 26 अप्रैल को यह गाड़ियां वापस कर दी जाएंगी।

क्या होगा अगर गाड़ी मालिक के पास इमरजेंसी हो?

अगर किसी गाड़ी मालिक के पास इमरजेंसी है और वह सोचता है कि बिना गाड़ी के उसका काम नहीं चल सकता, तो वह जिला निर्वाचन अधिकारी से संपर्क कर सकता है। यदि दस्तावेज सही पाए जाते हैं, तो चुनाव ड्यूटी से गाड़ी को हटाने के लिए आवेदन पर विचार किया जा सकता है।

गाड़ी मालिकों को मिलेगा क्या लाभ?

गंभीर सिंह ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा की गई व्यवस्था के अनुसार, संबंधित कार मालिकों को प्रशासन द्वारा उनकी गाड़ी का किराया भी दिया जाएगा। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 160 (2) में यह प्रावधान है कि गाड़ी का अधिग्रहण किए जाने की तारीख से लेकर गाड़ी लौटाने की तारीख तक एक महीने के भीतर ई-पेमेंट के माध्यम से भुगतान किया जाएगा।

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