
आजकल लोग कह रहे हैं कि बेकिंग सोडा, जिसे सोडियम बाइकार्बोनेट भी कहते हैं, कैंसर का इलाज कर सकता है। यह बात सोशल मीडिया पर खूब फैल रही है, जिससे लोगों को उम्मीद भी है और शक भी है। पर क्या सच में बेकिंग सोडा जैसी आम चीज़ कैंसर जैसी बड़ी बीमारी को ठीक कर सकती है? चलिए इस बारे में वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की राय जानते हैं।
ट्यूमर माइक्रोएनवायरनमेंट और बेकिंग सोडा की भूमिका
इस विचार की जड़ें उस शोध में हैं जिसमें वैज्ञानिकों ने पाया कि ठोस कैंसर ट्यूमर अपने आसपास एसिडिक वातावरण बना लेते हैं। यह वातावरण न केवल कैंसर सेल्स की ग्रोथ को बढ़ावा देता है, बल्कि उन्हें शरीर में फैलने और इलाज से बचने में भी मदद करता है। यही वजह है कि कुछ वैज्ञानिकों ने यह सुझाव दिया कि एक एल्कलाइन पदार्थ जैसे कि बेकिंग सोडा, इस एसिडिक वातावरण को न्यूट्रल कर सकता है और इस तरह कैंसर की प्रगति को धीमा किया जा सकता है।
प्रारंभिक शोध और संभावनाएं
प्रारंभिक इन विट्रो और इन विवो रिसर्च में कुछ उत्साहजनक परिणाम देखने को मिले हैं। खासकर ओवेरियन कैंसर पर हुए एक अध्ययन में पाया गया कि बेकिंग सोडा ने ट्यूमर के आसपास की एसिडिटी को कम किया, जिससे कीमोथेरेपी की दवाएं अधिक प्रभावी साबित हुईं। इसके अलावा, यह शरीर की कुछ इम्यून सेल्स को कैंसर के खिलाफ अधिक सक्रिय बना सकता है। हालांकि यह सब अभी प्रयोगशाला और पशु परीक्षणों तक ही सीमित है। अब तक कोई भी बड़ा क्लीनिकल ट्रायल नहीं हुआ है जो यह साबित कर सके कि बेकिंग सोडा से इंसानों में कैंसर का इलाज किया जा सकता है।
विशेषज्ञों की चेतावनी और चिकित्सा दृष्टिकोण
मेडिकल विशेषज्ञ इस दावे को खारिज नहीं करते, लेकिन वे इसे खतरे की घंटी मानते हैं अगर लोग इसे वैकल्पिक इलाज के रूप में अपनाने लगें। बेकिंग सोडा का अत्यधिक सेवन शरीर में इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन, किडनी डैमेज, और पाचन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है। इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि ऐसे झूठे दावों पर विश्वास करने से मरीज प्रामाणिक इलाज में देरी कर सकते हैं, जिससे उनकी स्थिति और खराब हो सकती है। विशेषज्ञ साफ कहते हैं कि कैंसर का इलाज केवल मल्टीडिसिप्लिनरी मेडिकल अप्रोच से ही संभव है और किसी घरेलू उपाय से नहीं।