इंदौर प्रशासन ने 1 जनवरी 2025 से शहर में भीख मांगने और देने की प्रथा पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का साहसिक निर्णय लिया है। यह कदम शहर की छवि को सुधारने और सार्वजनिक स्थानों को स्वच्छ बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि इस नियम के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिसमें भिखारियों को भीख देने वाले व्यक्तियों के खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी।
भीख मांगने और देने पर प्रशासन की सख्ती
इंदौर पुलिस और प्रशासन ने इस आदेश को सख्ती से लागू करने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। जनता को इस नियम के प्रति जागरूक करने के लिए जन-जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें रैलियों, सेमिनार और सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को शिक्षित किया जा रहा है। प्रशासन का कहना है कि यह कदम केंद्र सरकार के पायलट प्लान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य इंदौर को एक साफ-सुथरा और भिखारी-मुक्त शहर बनाना है।
फर्जी भिखारियों का पर्दाफाश और रिपोर्ट के खुलासे
प्रशासन ने अपनी रिपोर्ट में यह पाया है कि शहर के कई भिखारी वास्तव में जरूरतमंद नहीं हैं। जांच में यह सामने आया कि:
- कई भिखारियों के पास पक्के मकान और आय के स्थायी स्रोत हैं।
- कुछ भिखारी ब्याज पर पैसा बांटकर मोटी कमाई कर रहे हैं।
- तलाशी के दौरान एक भिखारी के पास ₹29,000 नकद बरामद हुए।
यह स्पष्ट हुआ है कि कई भिखारी संगठित गिरोह का हिस्सा हैं, जो इस प्रथा को एक व्यवसाय के रूप में चला रहे हैं।
शहर को भिखारी-मुक्त बनाने का उद्देश्य
इंदौर प्रशासन का यह कदम न केवल शहर की सफाई और सुंदरता सुनिश्चित करने के लिए है, बल्कि यह सही मायनों में जरूरतमंद लोगों की मदद करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
- सार्वजनिक स्थानों पर सुधार: रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और अन्य सार्वजनिक स्थानों की स्वच्छता सुनिश्चित होगी।
- संगठित सहायता: प्रशासन ने लोगों से आग्रह किया है कि वे NGOs और सरकारी योजनाओं के माध्यम से जरूरतमंदों की सहायता करें।
भीख देने वालों पर कानूनी कार्रवाई
प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि भीख देने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। भीख देने को प्रोत्साहित करने वाले व्यक्तियों पर FIR दर्ज होगी, और उन्हें दंडित किया जाएगा।
- भीख देने वालों के खिलाफ IPC की धाराओं के तहत कार्रवाई होगी।
- प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे सीधे भिखारियों को पैसे देने से बचें और सही माध्यमों से सहायता करें।
जन-जागरूकता अभियान की भूमिका
इंदौर प्रशासन का मानना है कि केवल प्रशासनिक सख्ती पर्याप्त नहीं है। इसके लिए जन-जागरूकता को बढ़ावा देना जरूरी है।
- लोगों को जागरूक करने के लिए रैलियों और सेमिनार आयोजित किए जा रहे हैं।
- प्रशासन ने जनता से NGOs और सरकारी योजनाओं का सहारा लेने की अपील की है ताकि सही मायनों में जरूरतमंदों की मदद हो सके।