झारखंड में विधानसभा चुनाव के बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब पार्टी के वरिष्ठ नेता और पांच बार विधायक रह चुके छत्रुराम महतो ने 87 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। महतो झारखंड की राजनीति में आदिवासियों और पिछड़े वर्ग के सबसे प्रबल नेताओं में से एक माने जाते थे। उनका निधन पार्टी के साथ-साथ पूरे राज्य के लिए एक बड़ी क्षति है। उनके निधन की खबर से चुनावी माहौल में गमगीन सन्नाटा छा गया है।
अस्पताल में इलाज के दौरान हुआ निधन
मिली जानकारी के अनुसार, छत्रुराम महतो पिछले कुछ समय से गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे। हालत बिगड़ने के बाद उन्हें रांची के मेडिका अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने उनकी स्थिति को लेकर पूरी कोशिश की, लेकिन बीमारी के कारण उनकी सेहत में सुधार नहीं हो पाया। 87 साल की उम्र में उन्होंने 18 नवंबर 2024 को अंतिम सांस ली।
महतो के परिवार ने उनकी बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने की खबर को निजी रखा था। पार्टी और उनके समर्थकों के लिए यह खबर एक झटके के रूप में सामने आई। उनके निधन ने झारखंड की राजनीति के एक युग के अंत को चिह्नित किया है।
झारखंड की राजनीति में छत्रुराम महतो का योगदान
छत्रुराम महतो भारतीय जनता पार्टी के सबसे वरिष्ठ और प्रभावशाली नेताओं में से एक थे। उन्होंने झारखंड और बिहार दोनों राज्यों की राजनीति में एक अहम भूमिका निभाई। महतो का राजनीतिक करियर दशकों तक चला, और उन्होंने झारखंड के गोमिया विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक के रूप में जीत दर्ज की।
महतो को खासतौर पर पिछड़े वर्ग और आदिवासी समुदाय के लिए काम करने वाले नेता के रूप में पहचाना जाता था। उनके प्रभाव के कारण ही बीजेपी ने झारखंड में अपनी जड़ें मजबूत कीं। बिहार सरकार में मंत्री के रूप में भी उन्होंने कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाली।
उनका राजनीतिक सफर प्रेरणादायक था, जिसमें उन्होंने जनसेवा और ईमानदारी को हमेशा प्राथमिकता दी। महतो का नाम झारखंड में कद्दावर नेताओं की सूची में सबसे ऊपर आता था।
पार्टी और कार्यकर्ताओं ने जताया शोक
छत्रुराम महतो के निधन पर बीजेपी के कार्यकर्ताओं, नेताओं और अन्य राजनीतिक दलों के सदस्यों ने गहरा शोक व्यक्त किया। पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए इस दुख की घड़ी में साथ खड़े रहने का संदेश दिया।
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, “छत्रुराम महतो का जाना हमारी पार्टी के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने पार्टी को सिर्फ नेतृत्व ही नहीं दिया, बल्कि समाज के पिछड़े और आदिवासी तबकों को मुख्यधारा में लाने के लिए हमेशा संघर्ष किया।”
उनकी अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में नेताओं, कार्यकर्ताओं और जनता के शामिल होने की संभावना है।
झारखंड चुनाव पर महतो के निधन का प्रभाव
झारखंड में इस समय दो चरणों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। पहले चरण का मतदान संपन्न हो चुका है, जबकि दूसरे चरण का मतदान 20 नवंबर को होना है। 23 नवंबर को मतगणना के साथ नतीजे सामने आएंगे, जो तय करेंगे कि झारखंड में एक बार फिर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेतृत्व वाली हेमंत सोरेन सरकार बनेगी या जनता ने इस बार बदलाव का मन बना लिया है।
महतो का निधन बीजेपी के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि चुनाव के दौरान उनका नेतृत्व और मार्गदर्शन पार्टी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था। महतो का प्रभाव गोमिया और उसके आसपास के इलाकों में काफी मजबूत था। उनके जाने से न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल प्रभावित होगा, बल्कि स्थानीय वोटिंग पैटर्न पर भी इसका असर पड़ सकता है।
छत्रुराम महतो
महतो का जीवन झारखंड के आम जनमानस के लिए प्रेरणा का स्रोत था। गरीबी और संघर्षों से निकलकर उन्होंने राजनीति में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने हमेशा अपनी राजनीति का केंद्र समाज के वंचित और पिछड़े वर्गों को बनाया। महतो के समर्थक उन्हें उनके सरल स्वभाव, निष्ठा और जनता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए याद करते हैं।
उनके राजनीतिक सफर में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन उन्होंने कभी अपने आदर्शों से समझौता नहीं किया। उनकी विरासत झारखंड की राजनीति में लंबे समय तक जीवित रहेगी।