बिहार सरकार द्वारा चलाए जा रहे भूमि सर्वेक्षण (Land Survey) का उद्देश्य राज्य के सभी जमीनों के रिकॉर्ड को डिजिटल करना और भूमि विवादों को कम करना है। इस सर्वेक्षण की समय सीमा हाल ही में बढ़ाकर जुलाई 2026 कर दी गई है। इसके तहत 45,000 से अधिक गांवों की भूमि का सर्वे किया जा रहा है। साथ ही, इस प्रक्रिया में कई नए नियम लागू किए गए हैं, जो किसानों और जमीन मालिकों को राहत देंगे।
बिहार भूमि सर्वेक्षण क्या है
बिहार भूमि सर्वेक्षण राज्य की भूमि व्यवस्था को सुधारने की एक व्यापक पहल है। इसका मुख्य उद्देश्य डिजिटल रिकॉर्ड के जरिए पारदर्शिता लाना और भूमि विवादों को खत्म करना है। इस सर्वे के तहत अब तक 16 करोड़ से अधिक दस्तावेज डिजिटाइज किए जा चुके हैं।
मुख्य जानकारी:
- शुरुआत: अगस्त 2024
- नई समय सीमा: जुलाई 2026
- कवर किए जाने वाले गांव: 45,000+
- लाभार्थी: किसान और जमीन मालिक
- ऑनलाइन पोर्टल: dlrs.bihar.gov.in
भूमि सर्वेक्षण में हुए नए बदलाव
राज्य सरकार ने भूमि सर्वेक्षण को सरल और प्रभावी बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं:
- समय सीमा में वृद्धि: अब सर्वे पूरा करने की अंतिम तारीख जुलाई 2025 से बढ़ाकर जुलाई 2026 कर दी गई है।
- ऑनलाइन आवेदन की सुविधा: लोग घर बैठे ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं, जिससे कार्यालय जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
- वंशावली में सुधार: अब बेटियों और बहनों के नाम भी वंशावली में शामिल करना अनिवार्य कर दिया गया है।
- दस्तावेजों में छूट: पुराने दस्तावेज न होने पर भी लोग स्व-घोषणा के आधार पर सर्वे में हिस्सा ले सकते हैं।
ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया
भूमि सर्वेक्षण के लिए सरकार ने ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू की है, जिसे निम्नलिखित चरणों में पूरा किया जा सकता है:
- वेबसाइट dlrs.bihar.gov.in पर जाएं।
- “Form for Self Declaration” विकल्प पर क्लिक करें।
- अपनी व्यक्तिगत और भूमि संबंधी जानकारी भरें।
- आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें।
- आवेदन जमा करने के बाद स्थिति (Status) ट्रैक करें।
भूमि सर्वेक्षण के लाभ
यह सर्वेक्षण बिहार के किसानों और जमीन मालिकों के लिए कई फायदे लेकर आएगा:
- भूमि विवादों में कमी: सटीक रिकॉर्ड से भूमि झगड़े कम होंगे।
- पारदर्शिता: डिजिटल रिकॉर्ड से लेनदेन में पारदर्शिता बढ़ेगी।
- कृषि उत्पादकता में वृद्धि: विवादों से बचकर किसान खेती पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।
- आर्थिक विकास: भूमि अधिकार सुनिश्चित होने से निवेश बढ़ेगा।
- सरकारी योजनाओं का लाभ: सही दस्तावेज से योजनाओं का सीधा लाभ मिलेगा।
चुनौतियां और चिंताएं
हालांकि यह पहल काफी लाभदायक है, लेकिन कुछ चुनौतियां और चिंताएं भी सामने आई हैं:
- कुछ लोगों को डर है कि उनकी जमीन को सरकारी घोषित किया जा सकता है।
- ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया में तकनीकी दिक्कतें हो सकती हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को इस प्रक्रिया की जानकारी का अभाव है।
- पुराने रिकॉर्ड न होने से कुछ लोगों को दिक्कत हो सकती है।
सरकार का पक्ष
राज्य सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि इस सर्वे का उद्देश्य किसी की जमीन छीनना नहीं है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मुताबिक:
- सर्वे से भूमि अपराधों में कमी आएगी।
- यह प्रक्रिया लोगों के हित में है।
- दस्तावेज न होने पर भी लोग सर्वे में भाग ले सकते हैं।
क्या करें यदि आपके पास पुराने दस्तावेज नहीं हैं?
अगर आपके पास पुराने भूमि दस्तावेज नहीं हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है। आप निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं:
- स्व-घोषणा फॉर्म भरें।
- अपने क्षेत्र के पंचायत या राजस्व कर्मचारी से संपर्क करें।
- पुराने खतियान या लगान रसीद जमा करने का प्रयास करें।