बिहार में वर्तमान में भूमि सर्वेक्षण (Bihar Land Surve) की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। इस प्रक्रिया के तहत भूमि मालिकों को अपनी जमीन से संबंधित जानकारी देने के लिए विभिन्न प्रपत्र भरने होते हैं। खासकर, प्रपत्र 2 और 3 को लेकर लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं। यहां हम आपको बताएंगे कि ये प्रपत्र क्या हैं और इन्हें कैसे भरना है।
प्रपत्र 2: स्वघोषणा पत्र कैसे भरें?
प्रपत्र 2 एक स्वघोषणा पत्र है जिसमें आपको अपनी जमीन से संबंधित विभिन्न जानकारियां भरनी होती हैं। इसमें आपको रैयत (भूमि मालिक) का नाम, पता, खाता संख्या, खेसरा संख्या, और रकबा जैसी जरूरी जानकारियां देनी होंगी। इसके अलावा, आपको अपनी जमीन की किस्म यानी प्रकार भी बतानी होगी, जैसे कि कृषि भूमि, बागवानी भूमि आदि।
यदि आपकी जमीन की जमाबंदी नहीं हुई है, तो उस कॉलम को खाली छोड़ सकते हैं। इसी प्रकार, अगर कोई और जानकारी मांगी गई है जिसे आप नहीं जानते, तो उसे भी खाली छोड़ सकते हैं। हालांकि, आपको यह जरूर बताना होगा कि आपकी जमीन पर दावा किस आधार पर है, जैसे कि दान में मिली, विरासत में मिली, खरीदी गई, या बंदोबस्ती में प्राप्त हुई। इस जानकारी को सटीक और सही तरीके से भरना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह आपकी भूमि के कानूनी दस्तावेजों के आधार पर सत्यापित की जाएगी।
प्रपत्र 3: वंशावली कैसे भरें?
प्रपत्र 3 में वंशावली की जानकारी देनी होती है। इस फॉर्म में आपको अपनी वंशावली के बारे में विस्तार से बताना होता है, खासकर यदि आप अपने नाम पर खाता खुलवाना चाहते हैं। इसमें आपको खातियान धारी या उनके वारिसों के नाम और उनके संबंध की जानकारी भरनी होती है।
यह भी एक प्रकार का स्वघोषणा पत्र है, जिसके लिए आपको किसी पंचायत या सरकारी दफ्तर में जाकर वंशावली बनवाने की जरूरत नहीं है। आपको केवल सही और सटीक जानकारी भरनी होगी ताकि आपके दावे को सही तरीके से दर्ज किया जा सके।
बिहार में चल रहे भूमि सर्वेक्षण के दौरान प्रपत्र 2 और 3 भरना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। यह सुनिश्चित करता है कि आपकी जमीन से संबंधित सभी जानकारी सही तरीके से दर्ज हो और भविष्य में किसी भी कानूनी विवाद से बचा जा सके। यदि आपको प्रपत्र भरने में किसी भी तरह की कठिनाई हो, तो आप राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा लगाए गए शिविरों में जाकर मदद ले सकते हैं। सही जानकारी देना आपकी जमीन के अधिकारों की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है।