
2025 में वैश्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की खरीदारी में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में केंद्रीय बैंकों ने 1,045 टन सोना खरीदा, जो लगातार तीसरे वर्ष 1,000 टन से अधिक की खरीदारी है। इस प्रवृत्ति के पीछे आर्थिक अनिश्चितता, मुद्रास्फीति, और भू-राजनीतिक तनाव जैसे कारक हैं।
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भारत और चीन में सोने की खरीदारी
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 31 मार्च 2025 तक अपने स्वर्ण भंडार को 879.58 टन तक बढ़ा लिया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 57.58 टन अधिक है। वहीं, चीन के पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (PBoC) ने फरवरी 2025 में 5 टन सोना खरीदा, जिससे उसका कुल स्वर्ण भंडार 2,290 टन से अधिक हो गया है।
सोने की खरीदारी के पीछे के कारण
- आर्थिक अनिश्चितता और मुद्रास्फीति: वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और मुद्रास्फीति के बढ़ते खतरे के कारण केंद्रीय बैंक सोने को सुरक्षित निवेश मानते हैं।
- डॉलर पर निर्भरता कम करना: अमेरिकी डॉलर की अस्थिरता और भू-राजनीतिक तनावों के चलते कई देश अपने विदेशी मुद्रा भंडार में विविधता लाने के लिए सोने की ओर रुख कर रहे हैं।
- भू-राजनीतिक तनाव: रूस-यूक्रेन युद्ध और अन्य वैश्विक संघर्षों के कारण देशों में वित्तीय सुरक्षा की आवश्यकता बढ़ गई है, जिससे सोने की मांग में वृद्धि हुई है।
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सोने की कीमतों में वृद्धि
2025 में सोने की कीमतों में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। मई 2025 में सोने की कीमत $3,313 प्रति औंस तक पहुंच गई, जो अप्रैल में अपने शिखर से थोड़ा कम है।
निवेशकों के लिए संकेत
केंद्रीय बैंकों की सोने में बढ़ती रुचि से यह संकेत मिलता है कि व्यक्तिगत निवेशकों के लिए भी सोना एक सुरक्षित और लाभकारी निवेश विकल्प हो सकता है। गोल्ड ईटीएफ, डिजिटल गोल्ड, और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जैसे विकल्पों के माध्यम से निवेशक सोने में निवेश कर सकते हैं।