क्या आपने कभी सोचा है कि अगर आपका बैंक दिवालिया हो जाए, तो आपके पैसे का क्या होगा? यह सवाल हर खाताधारक के मन में उठता है, क्योंकि देश में लगभग 97619 बैंक हैं, जिनमें से ज्यादातर ग्रामीण सहकारी बैंक और शहरी सरकारी बैंक हैं। हालांकि, लोग बड़े बैंकों जैसे HDFC, ICICI और SBI में खाता खोलना पसंद करते हैं। लेकिन क्या यह बड़े बैंक छोटे बैंकों से ज्यादा सुरक्षित हैं? आइए, इस विषय पर विस्तार से चर्चा करें।
बैंक के दिवालिया होने के कारण
बैंक दिवालिया तब होता है, जब उसकी देनदारी उसकी संपत्ति से अधिक हो जाती है। आसान शब्दों में, बैंक का राजस्व उसके खर्चों को कवर नहीं कर पाता और ग्राहक अपना पैसा निकालने लगते हैं। कर्ज की वापसी न होने और बैंक रन जैसी स्थितियां बैंक को दिवालिया बना सकती हैं।
बैंक मुख्य रूप से ग्राहकों के जमा पैसों पर निर्भर होते हैं। ये पैसे उधार देने और बॉन्ड में निवेश के जरिए ब्याज कमाते हैं। लेकिन जब ग्राहक बैंक पर भरोसा खो देते हैं और भारी मात्रा में पैसे निकालते हैं, तो बैंक के पास आर्थिक संकट गहराने लगता है।
डिपॉजिट इंश्योरेंस और सुरक्षित धन की सीमा
अगर आपका बैंक दिवालिया हो जाए, तो आपको DICGC (डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन) के तहत अधिकतम ₹5 लाख तक की धनराशि मिलेगी। यह नियम सभी भारतीय कमर्शियल बैंकों पर लागू होता है, चाहे वह सरकारी हो या निजी।
2020 से पहले यह सीमा ₹1 लाख थी, लेकिन इसे बढ़ाकर ₹5 लाख कर दिया गया है। यह रकम बचत खाता, चालू खाता, और फिक्स्ड डिपॉजिट को जोड़कर मिलती है। यह बीमा कवरेज सभी खाताधारकों के लिए 90 दिनों के भीतर उपलब्ध होता है।
FD और अन्य योजनाओं पर लागू नियम
यदि आपने बैंक में FD और अन्य योजनाओं में निवेश किया है, तो सभी खातों को जोड़कर अधिकतम ₹5 लाख की धनराशि बीमा के तहत आती है। अगर आपकी कुल राशि ₹5 लाख से कम है, तो उतनी ही रकम मिलेगी जितनी जमा है।
दो अलग-अलग बैंकों में खाता खोलने पर फायदा
अगर आपने दो अलग-अलग बैंकों में खाता खोला है और दोनों बैंक डूब जाते हैं, तो आपको प्रत्येक बैंक से ₹5 लाख तक की राशि मिल सकती है। इसका मतलब यह है कि अलग-अलग बैंकों में खाता रखना एक समझदारी भरा कदम हो सकता है।