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गंजे सिर पर दोबारा बाल लाना मुमकिन है? जानिए एक्सपर्ट क्या कहते हैं

गंजेपन के कारणों में जेनेटिक्स, हार्मोन और पर्यावरणीय कारक शामिल हैं। आज के दौर में हेयर ट्रांसप्लांट, मिनोक्सिडिल, फिनास्टेराइड और लेजर थेरेपी जैसे प्रभावी विकल्प मौजूद हैं। वैज्ञानिक अब टू-डिऑक्सी-डी-राइबोज शुगर जैसी नई खोजों से Hair Regrowth के भविष्य को बदलने में लगे हैं। यह लेख गंजेपन से जुड़े सभी पहलुओं को विस्तार और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता है।

By PMS News
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गंजे सिर पर दोबारा बाल लाना मुमकिन है? जानिए एक्सपर्ट क्या कहते हैं
Hair Transplant

गंजापन और बाल झड़ने की समस्या पर शोधकर्ताओं का ध्यान वर्षों से बना हुआ है। वैज्ञानिक लगातार नए तरीकों की खोज में लगे हैं जिससे झड़ चुके बालों को दोबारा उगाया जा सके। बालों की पुनर्वृद्धि को लेकर कुछ खोजें प्रयोगशालाओं में गलती से भी सामने आई हैं, लेकिन क्या ये तरीके सच में कारगर हैं? और क्या ये आम लोगों के लिए उपलब्ध होंगे? इस लेख में हम गंजेपन के कारणों, उपचारों और हाल की वैज्ञानिक उपलब्धियों की जानकारी को विस्तार से साझा कर रहे हैं।

गंजेपन को लेकर समाज की धारणा और लैरी डेविड का नजरिया

समाज में गंजेपन को लेकर कई तरह की धारणाएं हैं, जिनमें सबसे प्रमुख यह है कि गंजे व्यक्ति कम आकर्षक या कम आत्मविश्वासी होते हैं। लेकिन कॉमेडियन लैरी डेविड जैसे लोग इस रूढ़िवादिता को चुनौती देते रहे हैं। 1993 में एमी अवार्ड जीतने के बाद उन्होंने कहा, “सब कुछ अच्छा है, लेकिन मैं अब भी गंजा हूं।” 2000 में न्यूयॉर्क टाइम्स में उन्होंने लिखा, “मैं टोपी, ट्रांसप्लांट या दाढ़ी का सहारा नहीं लेता। अगर हम खुद को छुपाएंगे, तो कोई गंजों की इज्जत क्यों करेगा?”

गंजेपन के पीछे की सच्चाई

गंजापन—जिसे मेडिकल शब्दावली में एंड्रोजेनेटिक अलोपीशिया कहा जाता है—दुनिया भर के 85% पुरुषों और लगभग 33% महिलाओं को प्रभावित करता है। इसके पीछे मुख्य रूप से जेनेटिक्स जिम्मेदार होता है। हालांकि आम धारणा है कि गंजापन मां से विरासत में मिलता है, लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार यह पूरी सच्चाई नहीं है। गंजापन पॉलीजेनिक होता है, यानी इसमें लगभग 200 जींस भूमिका निभाते हैं, जो मां और पिता दोनों से प्राप्त होते हैं।

कुछ शोधों में पाया गया है कि 80% गंजे पुरुषों के पिता भी गंजे होते हैं। हालांकि इसका मतलब यह नहीं कि अगर आपके परिवार में गंजे लोग हैं, तो आप भी अवश्य गंजे होंगे।

पर्यावरणीय कारण और हार्मोनल प्रभाव

बाल झड़ने में तनाव, पोषण की कमी, कीमोथेरेपी और कुछ विशेष हेयर स्टाइल का भी योगदान हो सकता है। इसके अलावा DHT (डीहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन) नामक हार्मोन बालों की जड़ों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, जिससे बाल झड़ने लगते हैं। यह हार्मोन टेस्टोस्टेरोन से बनता है और पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं के बालों पर भी असर डालता है, खासकर मेनोपॉज या गर्भावस्था के बाद।

बालों को दोबारा उगाने के मौजूद उपाय

वर्तमान समय में गंजापन कोई लाइलाज समस्या नहीं रह गई है। हेयर ट्रांसप्लांट, मिनोक्सिडिल और फिनास्टेराइड जैसी दवाइयां और लेजर हेयर थेरेपी जैसे उपचार विकल्प बाजार में मौजूद हैं।

  • हेयर ट्रांसप्लांट एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति के खुद के बालों की जड़ों को गंजे स्थानों पर प्रत्यारोपित किया जाता है। इसके लिए तुर्की जैसे देश सस्ता और प्रभावी उपचार केंद्र बन चुके हैं।
  • फिनास्टेराइड DHT को रोकता है जिससे बालों की जड़ें कमजोर नहीं होतीं। वहीं मिनोक्सिडिल रक्त प्रवाह को बढ़ाकर हेयर फॉलिकल्स को सक्रिय करता है।
  • लेजर हेयर थेरेपी में कम तीव्रता वाली लेजर किरणें स्टेम सेल्स को सक्रिय कर फॉलिकल्स को दोबारा उगाने में मदद करती हैं। हालांकि इसकी प्रभावकारिता को लेकर वैज्ञानिकों में अभी भी मतभेद हैं।

नई वैज्ञानिक खोजें

हाल ही में वैज्ञानिकों ने चूहों पर एक विशेष प्रकार की शुगर—टू-डिऑक्सी-डी-राइबोज (2DDR)—का परीक्षण किया। इसे जब घाव वाली जगह पर लगाया गया, तो देखा गया कि वहां बालों की ग्रोथ तेज हो गई। इसके बाद इसे जेल के रूप में 21 दिनों तक चूहों पर लगाया गया और परिणामस्वरूप हेयर फॉलिकल्स की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। हालांकि यह टेस्ट अभी इंसानों पर नहीं हुआ है, लेकिन यह खोज बालों की दुनिया में एक नई उम्मीद बनकर उभरी है।

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