जब भी गांव का जिक्र होता है, तो ज्यादातर लोग कच्ची सड़कों, सिंपल जिंदगी और सीमित संसाधनों की कल्पना करते हैं। लेकिन गुजरात के माधापार गांव ने इस धारणा को पूरी तरह बदल दिया है। एशिया का यह सबसे अमीर गांव, जो रेगिस्तान के करीब बसा है, आज न केवल भारत बल्कि पूरे एशिया के लिए एक मिसाल बन गया है। इस गांव के लोगों ने साबित किया है कि समृद्धि केवल शहरों की पहचान नहीं है।
माधापार गांव में है 7000 करोड़ रुपये का बैंक बैलेंस
माधापार गांव की सबसे बड़ी खासियत इसकी बैंकों में जमा संपत्ति है। यहां की 17 बैंकों में 7000 करोड़ रुपये जमा हैं। यह आंकड़ा न केवल हैरान करता है, बल्कि बताता है कि ग्रामीण भारत की वित्तीय ताकत को कम नहीं आंका जा सकता। गांव में मुख्य रूप से पटेल समुदाय के लोग रहते हैं, जिनमें से अधिकतर अप्रवासी भारतीय (NRI) हैं। इन एनआरआई ने विदेश में रहते हुए भी अपने गांव से जुड़ाव बनाए रखा है और यहां के बैंकों को अपनी पूंजी का केंद्र बनाया है।
इस गांव में है 17 बड़े बैंक
माधापार में हर प्रमुख बैंक की शाखा मौजूद है, जिनमें एचडीएफसी बैंक, एसबीआई, पीएनबी, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और यूनियन बैंक जैसे नाम शामिल हैं। एक गांव में इतने बड़े और नामी बैंकों की मौजूदगी न केवल इसकी समृद्धि को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि गांव के लोग वित्तीय मामलों में कितने जागरूक हैं।
पैसा आया कहां से?
इस सवाल का जवाब गांव के अप्रवासी भारतीयों की सफलता में छिपा है। माधापार के 1200 परिवारों के सदस्य ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अफ्रीकी देशों में रहते हैं। ये NRI न केवल वहां कामयाबी के झंडे गाड़ चुके हैं, बल्कि अपनी जड़ों से गहराई से जुड़े हुए हैं। वे अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा माधापार के बैंकों और पोस्ट ऑफिस में जमा करते हैं।
विदेश में बसे, पर गांव से जुड़े
माधापार गांव न केवल आर्थिक रूप से मजबूत है, बल्कि यहां बुनियादी सुविधाओं का भी पूरा ध्यान रखा गया है। गांव में स्वच्छ पानी, बेहतर जल निकासी, पक्की सड़कों, आलीशान बंगलों, स्कूलों और मंदिरों जैसी सुविधाएं मौजूद हैं। झीलों और हरियाली से भरा यह गांव शहरीकरण और पारंपरिक जीवनशैली का बेहतरीन मिश्रण है।