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OPS: पुरानी पेंशन स्कीम पर बढ़ी केंद्र सरकार की टेंशन! दिल्ली में जुटे हजारों सरकारी कर्मचारी, PM मोदी से कर दी ये मांग

नेताओं को मिलती है पेंशन, तो कर्मचारियों को क्यों नहीं? जंतर मंतर पर OPS की बहाली की गूंज। सरकारी कर्मचारियों ने NPS को बताया नुकसानदायक, प्रधानमंत्री मोदी से जल्द समाधान की मांग। आंदोलन के और तेज होने की चेतावनी ने सरकार को सोचने पर मजबूर कर दिया है।

By PMS News
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OPS: पुरानी पेंशन स्कीम पर बढ़ी केंद्र सरकार की टेंशन! दिल्ली में जुटे हजारों सरकारी कर्मचारी, PM मोदी से कर दी ये मांग

नई दिल्ली: पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) की बहाली की मांग को लेकर सरकारी कर्मचारियों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। दिल्ली के जंतर मंतर पर हजारों सरकारी कर्मचारियों ने एकजुट होकर प्रदर्शन किया। इस विरोध रैली का नेतृत्व ‘ऑल इंडिया एनपीएस एम्पलाइज फेडरेशन’ (AINPSEF) ने किया। इन कर्मचारियों का कहना है कि नई पेंशन स्कीम (NPS) उनके लिए घाटे का सौदा है और OPS को जल्द से जल्द बहाल किया जाना चाहिए।

OPS की बहाली की मांग तेज

देशभर के केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के 91 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली के लिए एकजुट हो चुके हैं। ‘नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत’ के बैनर तले आयोजित इस आंदोलन में AINPSEF के पांच लाख से ज्यादा सदस्य शामिल हैं।

कर्मचारियों का कहना है कि OPS न केवल उनके बुढ़ापे का सहारा है, बल्कि उनके परिवारों और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को भी सुरक्षित करता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि NPS कर्मचारियों के लिए बेहद नुकसानदायक है और इसके तहत पेंशन लाभ सुनिश्चित नहीं किया गया है।

नेताओं को पेंशन, कर्मचारियों को क्यों नहीं?

प्रदर्शनकारियों ने सवाल उठाया, “एक नेता, जो केवल एक बार विधायक या मंत्री बनता है, उसे जीवनभर पेंशन मिलती है। वहीं, हम अपनी पूरी जिंदगी सरकार के लिए काम करते हैं, लेकिन हमें OPS का लाभ नहीं दिया जा रहा।”

कर्मचारियों ने NPS के तहत सैलरी का 10% कटने पर भी नाराजगी जताई और इसे तुरंत बंद करने की मांग की। उनका कहना है कि OPS को वापस लाकर उनकी सेवा के अंत में उन्हें एक सुनिश्चित आय का सहारा मिल सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी से कर्मचारियों की अपील

रैली में शामिल 40 प्रमुख कर्मचारी नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करने और संसद में OPS की बहाली के लिए कदम उठाने की अपील की। उनका कहना है कि OPS की बहाली से कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित होगा और सरकार के प्रति विश्वास भी मजबूत होगा।

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कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया, तो आंदोलन और तेज होगा और पूरे देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।

NPS बनाम OPS: क्या है विवाद?

OPS, जिसे NPS के लागू होने से पहले तक सरकारी कर्मचारियों के लिए उपलब्ध कराया जाता था, एक डिफाइंड-बेनेफिट योजना थी। इसमें रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित राशि की पेंशन मिलती थी। वहीं, NPS एक बाजार आधारित योजना है, जिसमें पेंशन राशि कर्मचारी के योगदान और निवेश पर निर्भर करती है।

कर्मचारियों का आरोप है कि NPS के तहत उन्हें पेंशन के लिए निश्चितता नहीं मिलती, जिससे उनका भविष्य असुरक्षित हो जाता है।

यह आंदोलन अब केंद्र सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है। कर्मचारियों की मांगों पर ध्यान न देने पर विरोध और तेज होने की संभावना है। वहीं, अगर OPS की बहाली होती है, तो यह सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बड़ी जीत साबित होगी।

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