Tenant Landlord Rights: भारत में प्रॉपर्टी (Property) खरीदना और उसे किराए पर देना आमदनी का एक लोकप्रिय जरिया है। लेकिन यह प्रक्रिया मकान मालिक और किरायेदार के बीच कई बार विवाद का कारण बन जाती है। मकान मालिक की एक छोटी-सी गलती से किरायेदार प्रॉपर्टी पर कब्जा (property rights of tenant) तक कर सकता है। इसीलिए किराए पर मकान देने से पहले सभी नियम और कानूनों की जानकारी होना बेहद जरूरी है।
रेंट एग्रीमेंट
मकान या प्रॉपर्टी को किराए पर देने से पहले रेंट एग्रीमेंट (Rent Agreement) तैयार करना आवश्यक है। इसमें किराए की राशि, भुगतान का तरीका, समय सीमा और मरम्मत की जिम्मेदारी जैसी महत्वपूर्ण शर्तें लिखी जाती हैं। यह दस्तावेज़ मकान मालिक और किरायेदार दोनों के लिए सुरक्षा कवच का काम करता है। बिना रेंट एग्रीमेंट के, मकान मालिक अपने अधिकारों को सुनिश्चित नहीं कर सकता। इसके अलावा, एग्रीमेंट यह भी तय करता है कि मकान मालिक कब और कितनी बार किराया बढ़ा सकता है।
कानून में किरायेदार का हक
भारतीय कानून के तहत, यदि कोई किरायेदार एक प्रॉपर्टी पर लंबे समय तक काबिज रहता है और मकान मालिक उस पर दावा नहीं करता है, तो किरायेदार प्रॉपर्टी का मालिक बन सकता है। इस प्रक्रिया को “एडवर्स पजेशन” (Adverse Possession) कहा जाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 65 में इस प्रक्रिया का स्पष्ट उल्लेख है।
यदि कोई व्यक्ति लगातार 12 वर्षों तक प्रॉपर्टी पर बिना किसी व्यवधान के कब्जा बनाए रखता है, तो वह कानूनी तौर पर मालिकाना हक का दावा कर सकता है। यह नियम मकान मालिकों के लिए गंभीर चेतावनी है कि उन्हें अपनी प्रॉपर्टी पर समय-समय पर नज़र रखनी चाहिए।
मकान किराए पर देने से पहले की सावधानियां
- कानूनी प्रक्रिया का पालन करें: रेंट एग्रीमेंट तैयार करना और उसे स्थानीय प्राधिकरण के पास रजिस्टर कराना अनिवार्य है। यह कानूनी विवादों से बचने में मदद करता है।
- पृष्ठभूमि जांच: किरायेदार का पृष्ठभूमि सत्यापन बेहद जरूरी है। इसमें पुलिस वेरिफिकेशन भी शामिल हो।
- किराए की समय सीमा तय करें: रेंट एग्रीमेंट में किराए की अवधि स्पष्ट रूप से लिखें। साथ ही, इसे नियमित अंतराल पर नवीनीकृत कराएं।
- प्रॉपर्टी का निरीक्षण: समय-समय पर प्रॉपर्टी का निरीक्षण करें। इससे यह सुनिश्चित होगा कि किरायेदार अनुचित गतिविधियों में लिप्त नहीं है।
किरायेदार के अधिकार
किरायेदारों को भी कुछ अधिकार दिए गए हैं, जैसे कि प्रॉपर्टी में बिना मकान मालिक की अनुमति के अनावश्यक दखल नहीं हो सकती। इसके अलावा, मकान मालिक मरम्मत की जिम्मेदारी लेने से इंकार नहीं कर सकता।